Ar. Shivaji katiyar   (शिवाजी कटियार)
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Architect (वास्तुकार)
WRITER (शब्दकार)
ARTIST
PAINTER
SCULPTURE ARTIST
कर्मा BELIEVER
Joined 19 June 2020


Architect (वास्तुकार)
WRITER (शब्दकार)
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SCULPTURE ARTIST
कर्मा BELIEVER
Joined 19 June 2020
27 JUL AT 0:54

बहुत दिनों से संभाल रखा था खुद को,
वो आये और कुछ यादों से फिर तबाह कर गए हमें।

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27 JUL AT 0:51

मैं खर्च हो गया कुछ ज़्यादा दूसरों पर,
अब मैं खुद को खुद पर कुछ ज़्यादा खर्च करूंगा।

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24 JUL AT 20:32

किताबें शख्स नहीं,
शाख्सियत बदलती हैं ।

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23 JUL AT 6:06

कोशिश करने वालों की हार ज़रूर होती है,
लेकिन मलाल नहीं रहेता तह उम्र

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23 JUL AT 6:03

मैं भटकुंगा इस क़दर की
मंजिल खुद को तन्हा समझेंगी।

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22 JUL AT 8:23

लड़के भी तन्हा, लड़कियां भी तन्हा
ये दौर किस चीज़ को मोहब्बत मान बैठा है।

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22 JUL AT 8:17

तकिया को सीने से लगा कर सोया करो जनाब,
हर शाम कईयों के गम और आंसू छिपायें है इसने।

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22 JUL AT 8:12

दरिया निकला था, समंदर को पाने
रास्ते में मोहब्बत आयी, और झील हो गया।

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22 JUL AT 8:09

'मोहब्बत' के हिस्से में 'रूंसबाई' आयी,
'दर्द' के हिस्से हर बार 'तन्हाई' आयी।

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22 JUL AT 8:04

खुद से बातें करता हूं कई बार,
दरिया सा बहेता हूं हर बार।

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