और उस दिन गाँव के लोग, मिटटी, फूल, तालाब, खाली ज़मीन, खाली वक़्त, सब बहुत याद आ गया था। एक झटके से लगी चोट की तरह झटके से आयी याद भी, कई रग झन्ना देती है
आओ कर लें आधा-आधा रातें-वातें चंदा-वंदा तारे-वारे सपने-वपने चिट्ठी-विट्ठी हँसना-वँसना रोना-वोना शामें-वामें हाथ-वाथ को थाम-वाम कर की गई सारी बातें-वातें झूठी-सच्ची सभी शिकायत कभी नहीं बिछड़ने का वो किया गया एक झूठा वादा आओ कर लें आधा-आधा!