और उस दिन गाँव के लोग, मिटटी, फूल, तालाब, खाली ज़मीन, खाली वक़्त, सब बहुत याद आ गया था। एक झटके से लगी चोट की तरह झटके से आयी याद भी, कई रग झन्ना देती है
-
पीयूष मिश्रा
(Piyush Mishra)
9.1k Followers · 88 Following
यायावर The Wandering Poet
Joined 9 October 2016
22 JAN 2022 AT 1:11
5 JUN 2018 AT 11:44
पेड़ काटें
कागज़ बनाएँ
फिर उन पर लिख कर चिपकाएँ-
'चलो पर्यावरण बचाएँ'-
28 APR 2017 AT 22:30
तुम ढूंढोगे मुझको और मिल ना पाओगे
मैं चाँद के पीछे की बस्ती का अंधेरा हूँ-
27 DEC 2016 AT 12:01
(ग़ालिब के जन्मदिन पर ग़ालिब से माफ़ी सहित)
काम ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे इश्क़ के
Happy Birthday Ghalib-
1 NOV 2016 AT 11:15
Main jo chala tha ghar se
Tumne potli mein ek
Diya tha zara sa kuchh,
Kaha tha-
"bhookh lage to kha lena"
Wo potli
Ab bhi yun hi padi hai...
Tumse door hoon na maa
Bhookh nahin lagti!-