किसी की ज़िन्दगी को ख़त्म करने की बात कर रहा हूं |
ग़लत ना समझ लेना मुझे ,
इंसान हूं , इसीलिए एक और पाप कर रहा हूं |-
3 FEB 2018 AT 22:45
27 APR 2020 AT 12:37
कभी अपने भूखे ईमान को ,निवाले इज़्ज़त के ख़िलाओ।
बूँद बूँद बेइज़्ज़ती से चरित्र का घड़ा जल्दी भर जाता हैं।
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14 MAY 2020 AT 14:57
चेहरे सब के भोले हैं
मन में ना जाने कितने पाप है
कहते रहते हैं राम राम
दिल में बसाते रावण है ।।-
15 JAN 2020 AT 0:28
पाप करना बहुत आसान हो सकता है,
लेकिन इसका बोझ उठाना
कठिन से भी अधिकतर बदतर है-
23 NOV 2021 AT 19:13
लग जाये दुर्वासा का ऐसा श्राप हूं मैं,,
जाने कैसा पाप हूं मैं.......!!-
22 AUG 2019 AT 17:57
हाँ मैंने सबसे बडा़ पाप है किया...
खुद ही सपनों को जन्म् देकर खुद ही उनका कत्ल़ है किया............
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22 DEC 2018 AT 23:10
মন্দাক্রান্তা সেনের "অপয়া" কবিতার প্রথম দুই লাইন ও শেষ দুই লাইনের সাথে যুক্ত কবিতা...
" পাপ "
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