♥Priu♥   (℘îū'š hèąřtñotęš)
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Joined 11 June 2019


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Joined 11 June 2019
28 JUN AT 20:12

पूरी जिंदगी बीत जाती है, खुद को साबित करने में,
और फिर भी कभी अपने ही कह देते हैं - "अभी तो कुछ कमी है तेरे होने में।

करते-करते अगर मर भी जाए सब के लिए बिना शिकायत,
पर कभी-कभी वो भी कह जाते हैं - "ये तो फ़र्ज़ है तुम्हारा, इसमें क्या खास बात।

कहते हैं आज़ादी मिली है तुमको सभी बेडियों से,
मगर सोच की दहलीज़ पर ताले लगा देते हैं चुपके से।

वो चाहते हैं मैं आगे बढ़ूं, सपने छू लूं - पर उनसे ज्यादा नहीं,
जैसे उड़ने तो दें, मगर पंख हमेशा उनके हाथ में रहे उनसे जुदा नहीं।

उन्हें शायद ये डर है, अगर मैं अपनी राह चुन लूंगी
तो कहीं उनसे दूर होके, अपने आप में खो जाऊंगी।

मान लेती हूं - गलत हो सकती हूं, कामजोर भी हूं, लाख बुराइयां भी होंगी,
पर सबको एक तराजू में क्यों तोलते हो
औरत भी इंसान है उनको पत्थर तले क्यों रोलते हो।





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7 FEB AT 18:58

आ रहे वो हमसे मिलने ये खबर लाई है उनकी झनकती पायल।
दिखे वो नहीं पूरे पहले दिखा उनकी आंखो का काजल ।।
थोड़े शर्मये वो भी हमें देख के ।
थोड़े सकुचाए हम भी उन्हें देख के ।
समझ नहीं आता कि किसने किया किसे घायल ।।

बालो का बनाये हुए जुडा हाथो में पहने वो सुनहरा चूड़ा ।
ये सदगी भरा लिबास जो पहना था उन्होनें लग रहा था वो भी शादी का जोड़ा ।।

गाल शर्म से होन लगे थे लाल
दिल धड़कने लगा मेरा भी देख उनकी चाल ।
शायर भी पनाह माँगने लगे छुपने की
हुस्न ऐसा उनका कि मिली नहीं कोई मिसाल।।

यू उंगली घुमा के चेहरे से बाल हटाने का तरीका ।
माथे पे सजता वो छोटी सी बिंदी का टीका। कुदरत ने बनाये होंगे हाजरों नजारे
मगर उनके आगे हर नजारा है फीका।।

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26 OCT 2023 AT 14:11

मैंने तुम्हें देखा और दोनों में तकरार हुआ।।
फिर दोस्ती हुई और मन में इकरार हुआ।।
रहना मुश्किल हुआ जब तुम बिन, हाल ए दिल का इजहार हुआ।।
महिनों गुजर गये साथ में ना जाने कब तुमसे प्यार हुआ।।
जब भी तुम दूर रही मुझसे, मैं मन से फिर बीमार हुआ।।
लाख जतन किए भागने के, पर आखिर सब बेकार हुआ।।
वक्त गुजरा धीरे-धीरे, लंबा मेरा इंतजार हुआ।।
तुझे मुझमें फिर जा के मोहब्बत का दीदार हुआ।।
दूरिया मिटी दो दिलों की, मैं हवा के घोड़ों पर सवार हुआ।।
तन जुदा रहे एक दूजे से, बातों का जरिया तार हुआ।।
खटास भी आई बीच में थोड़ी, मीठा भी सब खार हुआ।।
मगर एक दूसरे से दूर रहना दोनों को ही नागवार हुआ।।
तूने रूप के डोरे डाले, मैं तेरे हुस्न का शिकार हुआ।।
ऐसा फसाँ इस मोह जाल में, हर पल दिल से तेरा ही पुकार हुआ।।
मैं तो वैसा ही रह गया अब तक, तुझपे यौवन का श्रृंगार हुआ।।
जान मेरी अटक गई तुझपे, तू दो धारी तलवार हुआ।।
यू ही अब सब ऐसा ही है और ऐसा ही शायद चले ।
मैं तुझमें बहना लगा हूं अब, जैसे तू नदिया की धार हुआ।।

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24 OCT 2023 AT 11:44

शायद वो सही कहते हैं
हमें उनसे प्यार नहीं ।
दूर किया खुद से इतना की
उसके लोटने का भी इंतजार नहीं ।
दुआ है तुम्हें कोई बेहतर मिले
मुझे अब खुद पर ऐतवार नहीं ।
ख़ुश रहोगे तुम हाँ रह लोगे
मेरी चाहत अब यह संसार नहीं ।
फर्क नहीं पड़ता मुझे
ना आंखो से एक कतरा ही बहा
हाँ तुम सही कहते हो
मुझे तुमसे प्यार नहीं ।

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14 SEP 2023 AT 18:30

यह रात अब कुछ मध्धम् सी लगती है
बातें तेरी दिल पर मरहम सी लगती है
है यकीन हम मिलेंगें बहुत जल्द
यह दूरी भी अब कुछ कम सी लगती है

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14 SEP 2023 AT 18:28

आज उठाई एक अरसे बाद कलम जो मैनें
सोचा कि तेरे लिए एक पैगाम लिख दूं
उलझ के रह गई मैं शब्दों के मायाजाल में
की बिना नाम लिए मैं कैसे तेरा नाम लिख दूं

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8 AUG 2023 AT 20:39

When your loved ones are constantly hurting you

👇👇

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4 JUL 2023 AT 18:23


महसूस कर तू खुद को
तुझ में बसा अहसास हूं मैं

दूर कहां हूं मैं तुमसे भला
हर पल तुम्हारे पास हूं मैं

दिखाया है तूने हमेशा मुझपे
तेरा वही विश्वास हूं मैं

तुम चांद मैं माटी के समान
तुमसे मिल के हुयी खास हूं मैं

 


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20 APR 2023 AT 17:49

खेली है जब जिंदगी की बाजी
तो क्या नफ़ा क्या नुकसान है
बन जाता है यहां कोई खुशियों की वजह
तो कोई बात-बात पर जताता एहसान है
दुखी है यहां कोई अपनी तकलीफ़ो से
तो कोई दूसरों की खुशियों से परेशान है
सफलता को ही मिलती है अहमियत सदा
कोशिशों को देता ही कौन पहचान है
उधारी की ही यह साँसें हैं 'काफिर'
वरना किसे पता यहां कौन कितने वक्त का मेहमान है

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10 APR 2023 AT 18:17

हर उगते सूरज को सलाम नहीं मिलता
समेट लो अपने दिल को "काफ़िर"
हर कोशिश को यहां इनाम नहीं मिलता
लाख समझाओ इस दिल को फिर भी
बिना बिखरे इसे आराम नहीं मिलता

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