जानबूझकर मन साजिशें करता है,,
मोहब्बत है,
तड़पेगा,
तभी तो शिकायतें नाराज़गी लिखता है.....!!-
अब अपनी बाहें खोल और पनाह दे मुझे,,
तेरे न होने के ख्याल ने बेचैन कर रखा है.....!!-
तौबा ना करना मेरी मोहब्बत को ,,
तुझमें जलकर आग से राख हुए है हम......!!-
हाय इश्क़!!
अपना दिल जलता छोड़ कर,,
उससे रक़ीब का हाल पूछना पड़ता है..……..।।-
पता है मैं याद करती हूं तुम्हें,,
जब भी कोई उदास करता है मुझे,,
हर खुशियों में भी याद किया तुम्हें ,,
बताने के लिए कितनी खुशी है मुझे,,
चाहती तो हमेशा पास रख सकती थी तुम्हें,,
मेरे स्वाभिमान ने इजाज़त ना दी मुझे,,
आशा है मौसमें सताती न होगी तुम्हें,,
अब रातों से यारी है मुझे,,
शायद वक्त महफूज़ रखता होगा तुम्हें,,
मालूम है जैसे -तैसे ज़िन्दगी गुजार देंगी मुझे,,
जब अन्तर्मन हरा-थका दे तुम्हें
मुड़ आना मेरी तरफ इंतजार है मुझे,,
आज पैगाम लिख के छोड़ देती हूं तुम्हें,,
तुम लौट आओगे इतना यकीन है मुझे......!!-
अब मुस्कुराना ज़रुरी ना रहा मेरा ,,
वो मुझे उदास भी देख लेता है .....!!-
वो अकड़ कर खड़ा था अपने सच के साथ,,
और मैं उसमें जल कर खाक हो गयी ......!!
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महीनों गुजार दियें मैंने तुम्हें भूलनें की कोशिश में,,
अफ़सोस तुम याद रहें और बाक़ी सब कुछ भूल गयी मैं …...!!-
पूरी जिंदगी बीत जायेगीं तुम्हारे कमाने में,,
जितना मैं तुम पर खर्च हो गयी हूं..….!!-
इश्क के आगे यारा मैंने दोस्ती कुर्बान कर दी....
अजनबियों सोच समझ के कहना मुझे यार अपना....!!-