खत्म हुईं !
हर वोह कहानी जिसकी शुरुवात तुम थे !!-
रोज गिर गिर कर संभलती हूं।
और आज उसके जाने के समझ आया ।
संभलना कितना मुश्किल है।।
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तुम सुना ना सको ऐसी कहानी ना बनाना और !!
जो प्यार को मिटा दे ऐसी निशानी ना बनाना !!-
वोह छोटी से छोटी किताबों मैं लिखे शब्दो को पढ़ते जा रहा था ।।
पर जब समझाने की बात आई तो मालूम चला उसने किताब का नाम ही नहीं पता था ।।-
अब तो मान जाया करो,
यूं आंखें ना नम किया करो ।।
हमारी गलती को भूल कर ,
कभी तुम भी मुझे याद किया करो ।।
अब बहुत हो गया रूठना मनाना,
चलो रात हो गई हैं ।।
अपने हाथों में मेरा हाथ रहने दो ,
पिंजड़े में बंद हो चुकीं इन यादों को ।।
अब फिर से उड़ने का मौका दो,
अब तो मान जाया करो ।।
यूं आंखे ना नम किया करो ,
कुछ ना बोल पती तुम्हें ।।
तुम मेरी आंखों में देख कर ,
सब समझ जाया करो ।।
अब तो मान जाया करो,
यूं आंखें ना नम किया करो।।
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खूबसूरती को देख कर उसे आंखों में बसा लेते हैं
मोहब्बत करें या ना करें लोग इजहार कर देते हैं ।।-
गोरी कलाइयां हरी चूड़ियां ,
शिव को ना भाए पार्वती के अलावा कोई और छोरियां ।।-
कैसे भुला दूं तुम्हारे उस बेवफाई को जो तुमने दिया है
जब भी मुझे तुम्हारी जरूरत थी मुझे किसी और ने संभाला है ।।-
पढ़े हुए किताब में उलझे हुए शब्द की तलाश जारी है
क्या कहूं मुझे आज भी तेरे प्यार में बोले हुए हर झूठ की तलाश जारी है-
अपनी आंखों से ओझल करके ,
तुझे तेरी मां के पास छोड़ आऊंगी ।।
जमाना कहे मुझे बेवफा ,
इससे पहले मैं अपना दम तोड़ जाऊंगी ।।-