sandhya Rathod   (❤ज़ख़्मी ✒❤)
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Joined 28 July 2019


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Joined 28 July 2019
6 JAN AT 9:13

samandar gehra ho,
lehrein achi aur lehja sahi.
tum galat pehchante ho,
main insaan itna acha nahi.

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21 APR 2022 AT 3:13

तू दर्द में लिपटा मैं सुकून से जीलूं कैसे।
देख कर आंखें भर आई ,तुझे बोलूं कैसे।

मेरे कांपते हाथों से तुझे चूलूं कैसे।
सबक जो मिला है, तुझे भूलूं कैसे।

राज़ कोई दफ़न है उसे खोलूं कैसे।
दर्द की ज़िंदगी हैं, खुशी से डोलूं कैसे।

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28 FEB 2022 AT 11:22

कुछ ऐसी हरक़त वो हकीकत में करदें।
मुझ को फ़क़त अपनी वसीयत में करदें।

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17 FEB 2022 AT 22:23

लापरवाही, फ़रेब, गुस्सा, नफ़रत, फ़ायदे में तोला गया।
बहुत कम रिश्तें थे, जिनमें इश्क़ को इश्क़ बोला गया।

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8 FEB 2022 AT 3:27

के हम तेरा ज़िक्र न करते तो क्या करते।
किसी ने पूछा था वफ़ा किसे कहते हैं ।

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7 FEB 2022 AT 11:39

वो कहता,
उसके ग़मों पर,अकेलेपन पर,
इस क़दर हावी हूँ मैं।
सबर,सुकूँ ,और ख़ुशियों की
चलती फ़िरती चाबी हूँ मैं।

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31 JAN 2022 AT 7:23

के मुझ को पसंद हैं बातें तुम्हारी,
आओ इस ख़ामोशी को ख़फ़ा करते हैं।

गीले शिकवे ,ग़ुस्सा शिक़ायत ज़रूरी हैं।
आओ हमारी नासमझी को दफ़ा करते हैं।

इश्क़ का मासूम होना सचमुच लाज़मी हैं।
आओ फैसला तुम्हारा हैं
बेवफ़ाई या वफ़ा करते हैं।

हमने जाना तो ये जाना,
इश्क़ गुब्बार है जज़्बातों का।
भरोसा,वादे,इंसान के टूटने को,
हम फलसफ़ा करते हैं।

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29 JAN 2022 AT 2:46

मुझे बेहतर बनाने का वादा वो छोड़ रहा है।
मुझे अपना कहा ,मुझको ही वो तोड़ रहा है।
ऐसा बिल्कुल भी नहीं कि काबिलियत नहीं उसमें,
वो मुझ से नहीं,आने वाले वक़्त से मुँह मोड़ रहा है।

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26 JAN 2022 AT 10:37

इश्क़ में तेरे सिवा कभी
ख़ुद को भी देखा नहीं हम ने।
ज़िन्दगी का बेजान हिस्सा था तू,
फ़िर भी फ़ेंका नहीं हम ने।

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25 JAN 2022 AT 16:48

इस मोहब्बत से लोग ख़फ़ा बहुत हैं।
सिर्फ़ तुम नहीं,
तुम्हारे अलावा भी बेवफ़ा बहुत हैं।

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