Jis mahobbat mein kisi ko paane ki zid ho.... Tho
Vo... Mahobbat nahi...
Kyu ki mahobbat dil se ki jaati hai...
Aur
Zid marzi se....-
_हुकुमत_
नक्षे-कदम पर चलते है आपके
आपकी हुकुमत ही अलग है जनाब
वैसे तो किसीकी जुर्रत भी नही
के हमारी मर्ज़ी को पलट सकें....-
ये भी कैसी अजीब दस्तान हैं
हम सिर्फ अपनी मर्जी से चाह सकते हैं
भुला नही सकते!-
मैं अपनें उसूलों से, बहुत परेशां हूं,
बिना यार की मर्ज़ी के.
उसकी तस्वीर तक को चूमना,
जायज़ नहीं लगता इन्हे.-
Ab hum marzi bhi nhi kartay.
Har marzi khudgarzi lagti hai.
اب ہم مرضی بھی نہیں کرتے ۔
ہر مرضی خودغرضی لگتی ہے۔
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Logo ki bakwas sunne ke baad
Me⤵️
Mera man meri marzi,
Baat na kariye aap humse farzi...
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मैं नीड़ सुलगती आशा की, तू मनमौजी पंछी प्रिये..
मुझ में तेरा वास निरंतर.. है बस तेरी मर्ज़ी प्रिये...-
जा के कह दे कोई मेरी मोहब्बत से
कि,
साल बीत गए उसको देखा तक नहीं उसकी मर्ज़ी से-
मेरे चेहरे में कई चेहरे और भी है,
मर्ज़ी हो वैसे कर बातें और भी है...-
Marzi ke maalik hain sab
Bhla humre khane se koi kuch bhi kyun kare....!!!-