ज़मीन से दूर, आसमान के करीब,
फिर भी दिलों में बसती है तन्हाई अजीब।
ऊँची इमारतों में खो गया है सुकून,
हर मंज़िल पर बस दौड़ता है, ज़िंदगी का जुनून।
चमकते शहरों में अँधेरा बहुत हैं,
यहाँ ज़िंदा तो हैं सब, पर जीते बहुत कम हैं।-
Bass dil ki baat kehte hai..❤
शिव है योग, तप और ध्यान
कृष्ण है प्रेम, रास और गान
शिव है शांति, कृष्ण है प्राण
सावन का महीना और…दोनों का वरदान ॥-
SAIYAARA ❤️
स्याही से लिखे ख्वाबों में
वो हर रोज़ उसे जीती रही,
अल्फ़ाज़ों में उसकी मोहब्बत
बूँद-बूँद बरसती रही।
वो गुनगुनाता रहा बिना जाने,
उसी को हर एक पल में,
मिलन की वो घड़ी आई तब,
खुदा भी मुस्कुराया उस राज़ में।-
आज शाम के चौखट पर ज़िंदगी हिसाब पर बैठी,
हर ख्वाब की कीमत लिए वो नक़्शे-ख़िताब पर बैठी।
जो हँसी में ढक गए, वो आँसू गिनने लगी,
हर सफ़र की थकान अब इक किताब पर बैठी।-
अठ्ठावीस युगांची मालकीण… ती बनूनी सावली पाठीशी ठाम उभी आहे,
म्हणूनच विट्ठला साठी रुक्मिणी खास आहे ॥-
पंढरीचा रस्ता,
वारकऱ्यांची शान,
हातात टाळ,
ओठी विठ्ठलाचे गान।
डोंगर, रान, वारा गातो
“ राम कृष्ण हरी”,
संतांच्या चरणी मिळतो
जीवाला ठाव।
रुक्मिणीसमोर डोळे
भरून येतात रे,
वारीतच खऱ्या विठ्ठलाचं
दर्शन घडते रे।-
बादल भी जाने क्या पैग़ाम लाते हैं
याद तेरी आती है और बात बूंदों से हो जाती है॥-
ॐ का जाप था, शिव का नाम था, धाम केदारनाथ था ।
बारह बरस बीत गए, कुदरत ने अपना कहर सुनायॉं था ।
गूंज महादेव की थी और मंजर तबाही का था ।
तारीख मोहताज बनी है उस पल की..
जिसका रहस्य कोई सुलझा न पाया हैं आज भी ।
बिछड़ो के ज़खम शिव... तू अब कैसे हरेगा.. और
बोल उन मुस्कान का क्या जिसने सैलाब में भी
हर हर महादेव गाया था !!-