RUGVEDA BHOYAR   (RUGVEDA BHOYAR)
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Likh ne ka shauk nahi
Bass dil ki baat kehte hai..❤
Joined 7 June 2020


Likh ne ka shauk nahi
Bass dil ki baat kehte hai..❤
Joined 7 June 2020
16 SEP AT 19:12

बूंदों से
बरस रही है..
प्रेम की बारिश
राधा..
छाता लेकर खड़ी है..
संग मुरली पकड़
गिरधारी 🩷

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31 AUG AT 18:49


नील घटा में बंसी की तान..
राधा का स्वर और कृष्ण का साथ।
मिलन में है विरह की बात..
उन बातों में है मिलन का राज़।

द्वापर का यही सत्य है..
प्रेम ही परमात्मा कहलाता है॥

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13 AUG AT 21:48

Zindagi ka ek ek pal..
जिंदगी का एक एक पल क़ीमती होता है,
जानकर ये बात अनजान फिरता है !

गुज़र जाती तमाम उम्र भाग-दौड़ के फेर में,
नतीजे का अनुमान किसी को कहा होता है !

कोई नहीं चाहता है कम रहना किसी से भी,
सबका आगे बढ़ने का ही तो अभियान होता है !

झुकना पड़ता है उसे भी रब की अदालत में,
जिसे खुद पे बहुत ज़्यादा अभिमान होता है !

करता है जो सम्मान इंसान और इंसानियत का
दुनिया में केवल वही तो महान होता है !!

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2 AUG AT 23:21

वो इंतज़ार ही कैसा..
जिसमें तेरी याद ना हो ‼️

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23 JUL AT 19:24

ज़मीन से दूर, आसमान के करीब,
फिर भी दिलों में बसती है तन्हाई अजीब।
ऊँची इमारतों में खो गया है सुकून,
हर मंज़िल पर बस दौड़ता है, ज़िंदगी का जुनून।

चमकते शहरों में अँधेरा बहुत हैं,
यहाँ ज़िंदा तो हैं सब, पर जीते बहुत कम हैं।

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20 JUL AT 23:39

शिव है योग, तप और ध्यान
कृष्ण है प्रेम, रास और गान
शिव है शांति, कृष्ण है प्राण
सावन का महीना और…दोनों का वरदान ॥

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19 JUL AT 18:34

SAIYAARA ❤️

स्याही से लिखे ख्वाबों में
वो हर रोज़ उसे जीती रही,
अल्फ़ाज़ों में उसकी मोहब्बत
बूँद-बूँद बरसती रही।
वो गुनगुनाता रहा बिना जाने,
उसी को हर एक पल में,
मिलन की वो घड़ी आई तब,
खुदा भी मुस्कुराया उस राज़ में।

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18 JUL AT 17:26

आज शाम के चौखट पर ज़िंदगी हिसाब पर बैठी,
हर ख्वाब की कीमत लिए वो नक़्शे-ख़िताब पर बैठी।
जो हँसी में ढक गए, वो आँसू गिनने लगी,
हर सफ़र की थकान अब इक किताब पर बैठी।

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5 JUL AT 23:31

अठ्ठावीस युगांची मालकीण… ती बनूनी सावली पाठीशी ठाम उभी आहे,
म्हणूनच विट्ठला साठी रुक्मिणी खास आहे ॥

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22 JUN AT 12:28

पंढरीचा रस्ता,
वारकऱ्यांची शान,
हातात टाळ,
ओठी विठ्ठलाचे गान।
डोंगर, रान, वारा गातो
“ राम कृष्ण हरी”,
संतांच्या चरणी मिळतो
जीवाला ठाव।
रुक्मिणीसमोर डोळे
भरून येतात रे,
वारीतच खऱ्या विठ्ठलाचं
दर्शन घडते रे।

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