ख़्वाबों को हँसते देखा है मैंने मेरी हार पर
रुक गया हूँ मैं ख़ुद से हारकर
हौसले को कही खो दिया है मैंने
नहीं रही अब हिम्मत ये कह दिया है मैंने
क्या यह मेरा अंत हैं ?
पूछा मैंने ख़ुद को गले लगाकर
कहा मेरे रूह ने क्यों हार बेठ गया है तू…
तेरा लड़ना अभी बाक़ी है
तेरी उड़ान से आसमान छूना बाक़ी है..
याद कर वो पल जब ये सबकुछ सोचा था
अकेले ही निकल पड़ा था मंज़िल की ओर
उस वक़्त काँटों ने भी रोका था
अब काँटों को रौंद कर, हौसले तोड़ा नहीं करते
अगर होना है तुझे सफल, तो हार माना नहीं करते ॥
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