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My nights are
empty without You,
where have You gone?
(see caption)-
लफ्जों में खता रख, गले का हार नहीं हूं.
जीत की तलब हूं, किसी का यार नहीं हूं
उम्दा गजब शायरी ये हुनर कहां किसी का.
ये लफ्ज सब रहमत के, मैं कोई सार नहीं हूं.
जमीर से ईमां तक बहुत सौदे किये तुमने
सौदा मैं भी हो जाऊं गर कोई बाजार नहीं हूं.
फूल लेके मिलने जुलने मत आया कर दोस्त .
ज़िन्दा हूं अभी बशर मरा कोई मजार नहीं हूं.
शादी इश्क की गम मोहब्बत का नाच उठा .
शौक से नाचता हूं पर कोई नाचार नहीं हूं.
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बेहद की हद
कुछ मोती बेहद प्यारे थे मुझे।
पर कल डोरी से निकल कर अपनी,
हद पार कर गए।
वो मोती जोड़ने में ज़िंदगी लगी थी मुझे।
पर कल अपना रंग बदल कर,
हद पार कर गए।
शायद डोरी कच्ची थी ,पता नहीं था मुझे।
पर कल उसे तोड़ माला बेज़ार कर,
हद पार कर गए।
उनकी चाहत उनको नहीं ,सिर्फ़ पता थी मुझे।
जौहरी कमज़ोर निकली मैं और वो,
हद पार गए।-
अक्सर उन कानों में झुमके सजते थे जनाब,
ये सूट बूट ने उनकी खनक को शांत कर दिया ।-