हिंदी तो आत्मा है ः- एकता तिवारी
हिंदी को तुमने एक भाषा समझा
और भाषा घोषित कर उसे खड़ा कर दिया भाषाओं के बाज़ार में …
पर हिंदी तो भाव है , स्वभाव है , आत्मा है ,
बिना किसी बाज़ार के पूरा संसार है ।
जिसे तुम महसूस करते हो ,जीते हो ,
और उसी से भारतीय होने पर गर्वानवित होते हो।
अक्षर और मात्राओं के जोड़ से शब्द बनते है ,
शब्दों से दुनिया का व्यवहार चलता है ।
पर , आत्मा से व्यवहार चलता है ,
व्यवहार से आत्मा नहीं।
और हिंदी मेरी भाषा नहीं आत्मा है ,
जिससे इस संसार का बाज़ार चलता है ।
शुभ हिंदी दिवस
💕😊🙏🏻
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A thought…
Ek number se Ho gaye hai…
Ekta Tiwari…
Ana aur jana niyati hai, aur niyati karmo ka hisab kitab hai…
Jo Samjh jaye, accept karle wo tutega nahi, jhukega nahi aur rukega nahi…
To is numbers ke khel me karmo par dhyan de na ki sirf niyati par…
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Thanks
Ekta Tiwari
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आज भी है ।
हिंदी दिवस तो रोज़ मेरा होता है, आज भी है ।
स से सुबह - र से रात रोज़ मेरी होती है , आज भी होगी ।
च से चिड़ियाँ - ह से हवा रोज़ आती है , आज भी आयी है ।
द से दोस्त - अ से अजनबी रोज़ मिलते रहते है , आज भी मिले है ।
फ से फूल - ग से गुलदस्ता रोज़ खिलते और बनते है ,आज भी बने है।
ग से ग़ुस्सा -प से प्यार रोज़ किसी बात पे आता है ,आज भी आया है।
ख से खाना -प से पानी रोज़ सबको लगता है , आज भी लगा होगा ।
न से नींद -अ से आँख लगती-खुलती सबकी है ,आज भी ऐसा हुआ है।
हिंदी दिवस तो रोज़ मेरा होता है , आज भी हैl
Copyright © Ekta Tiwari-
ज़िंदा तू भी है ,मैं भी हूँ ।
तपा तू भी है ,मैं भी हूँ ।
ऊपर नीचे देखता तू भी है ,मैं भी हूँ।
आजु बाजू लोग तेरे भी है ,मेरे भी है ।
हारा जीता तू भी है, मैं भी हूँ ।
दर्द छुपाता-मुस्कुराता तू भी है ,मैं भी हूँ ।
दिखने में भी एक से तू भी है, मैं भी हूँ ।
झुककर सलाम लेता और देता तू भी है ,मैं भी हूँ ।
सबके भले की दुआ माँगता तू भी है, मैं भी हूँ ।
रोते को हँसाता तू भी है, मैं भी हूँ ।
तालियों से शाबाशी देता तू भी है, मैं भी हूँ ।
गिरते को सँभालता तू भी है, मैं भी हूँ।
हाथ जोड़कर सम्मान देता तू भी है, मैं भी हूँ ।
कुछ छूट जाए अधूरा पलट कर देखता तू भी है, मैं भी हूँ ।
समानताए बहुत सी है जो तू भी है, मैं भी हूँ ।
तेरे रूप अनेक है पर तेरे सारे रूप में ,
समाया मैं एकाकार हूँ ।
क्या कहूँ इससे ज़्यादा और मैं,
बहुरूपिया मैं कलाकार हूँ ।-
बेहद की हद
कुछ मोती बेहद प्यारे थे मुझे।
पर कल डोरी से निकल कर अपनी,
हद पार कर गए।
वो मोती जोड़ने में ज़िंदगी लगी थी मुझे।
पर कल अपना रंग बदल कर,
हद पार कर गए।
शायद डोरी कच्ची थी ,पता नहीं था मुझे।
पर कल उसे तोड़ माला बेज़ार कर,
हद पार कर गए।
उनकी चाहत उनको नहीं ,सिर्फ़ पता थी मुझे।
जौहरी कमज़ोर निकली मैं और वो,
हद पार गए।-
Before you speak ,
Let your words pass
through 3 gates:
Is it true ?
Is it necessary ?
Is it kind ?
.... Buddha
Good Morning !!!-
कलाकार
जगमगाते चाँद और टिम टिमाते सितारों ,
से रोशन असमान हो।
ज़मीनी चाँद-सूरज-सितारों के संग ,
खुद ही का ख़ुद ही को दीदार हो।
प्यार-महोब्बत-आशीर्वाद सदा मिलें ,
नसीब में ऐसे लम्हे हज़ारों-हज़ार हो।
भूखा हैं हर एक कलाकार तलियों का,
और दुआ है ये भूख मिटानेवाले दर्शक बेशुमार हो।
दर्शक नहीं तो कलाकार नहीं -
कलाकार नहीं तों कला नहीं -
और कला नहीं तो ये संसार नहीं
ये जो ख़ूबसूरत बाना है रिश्ता ,
इस पर ईश्वर की कृपा अपार हो !!!-
नारी (lady)
सु. हो या कु. हो नारी तो नारी हैं,
हैं भी अगर गुनहगार, पर यूँ आपका अवमानना करना कहाँ लिखा हैं, संस्कारी हैं!
नीचे जो मज़े ले रहे हैं इस हाल में,
याद रहे ऊपर आनी सबकी बारी हैं !
रिया जो सही हैं ऊपर वाला बचाए,
कंगना जो ग़लत हैं ऊपर वाला उठाए!
माना प्रजातंत्र हैं, आज़ादी हैं,
पर हर महकमे की अपनी ज़िम्मेदारी हैं!
System को systemसे काम करने दीजिये,
और जो खेल मिडिया और राजनीति
अशांति फैलाते हुए सुशान्त के नाम पर
खेलें जा रही हैं!
कहा से और कितने आए हैं जेब में
जनता ये भी जानना चाहती हैं ,
जरा अपनी बैंक एसटतेमेंट भी
अपनी चन्नेल स्क्रीन पर फेंकना!
और please हाथ जोड़ते हैं आपके,
बंद करो किसी की तकलीफ़ों पर अपनी रोटी सेकना!
एकता तिवारी (Ekta Tiwari)-