ज़िंदा तू भी है ,मैं भी हूँ ।
तपा तू भी है ,मैं भी हूँ ।
ऊपर नीचे देखता तू भी है ,मैं भी हूँ।
आजु बाजू लोग तेरे भी है ,मेरे भी है ।
हारा जीता तू भी है, मैं भी हूँ ।
दर्द छुपाता-मुस्कुराता तू भी है ,मैं भी हूँ ।
दिखने में भी एक से तू भी है, मैं भी हूँ ।
झुककर सलाम लेता और देता तू भी है ,मैं भी हूँ ।
सबके भले की दुआ माँगता तू भी है, मैं भी हूँ ।
रोते को हँसाता तू भी है, मैं भी हूँ ।
तालियों से शाबाशी देता तू भी है, मैं भी हूँ ।
गिरते को सँभालता तू भी है, मैं भी हूँ।
हाथ जोड़कर सम्मान देता तू भी है, मैं भी हूँ ।
कुछ छूट जाए अधूरा पलट कर देखता तू भी है, मैं भी हूँ ।
समानताए बहुत सी है जो तू भी है, मैं भी हूँ ।
तेरे रूप अनेक है पर तेरे सारे रूप में ,
समाया मैं एकाकार हूँ ।
क्या कहूँ इससे ज़्यादा और मैं,
बहुरूपिया मैं कलाकार हूँ ।
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