कल तक जो अपना भविष्य बनाने चले
आज वो अपना भविष्य को मिटाने लगे
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बहुत हुआ अब चुप नहीं बैठेंगें
थक गए रो-रो कर अब जग जग कर पढ़ेंगे
कब तक लोग कहेंगे और कब तक हम सुनेंगे
कब आएगा वो दिन जब हम अपने पांव पर खड़े होंगे
बहुत लिया सहारा अब हम सहारा बनेंगे
मां-बाप के फर्ज का हम कर्ज अदा करेंगे
बहुत हुआ अब चुप नहीं बैठेंगे-
Do you know?
बड़े खुशनसीब लोगों को ये combo मिलता है👇👇👇👇
अच्छी Handwriting+अच्छी Speed
और हम बहुत Unlucky बा क्योंकि इनमें से कुछ भी मेरे पास नहीं बा😒😒
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जब घर में कोई शादी या त्योहार हो....तभी ये आते हैं ।
जो question हमे नही आते , वही इनमें पूछे जाते हैं😂😂।
नींदे उड़ा देते हैं ये रातों की,
यार सच पूछो तो ये exam घर वालों से भी ज्यादा सर दर्द दे जाते है ।😓-
Waylaying the storms of
Continuous rejection and dejection
Pushing the drifts of deterioration
With a grueling body
A wounded heart
and a broken soul
Still dreaming about the elusive goal
I sail the ship of my life
On the ocean of depodency
To the island of victory
Under the lofty sky
Where the cavernous scar
Shine like the northern star
Me towards a new destination
Where my optimism might win over
The patriarchal pessimism
Where I won't loose anymore
Where the fear of failure
May disappear forever
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یا الہٰی رحم کر
ہیں امتحان سر پر
نہ کھولی کتابیں
نہ الٹی بیاضیں
کچھ پڑھا بھی نہیں
کچھ رٹا بھی نہیں
نہ ہمتِ نقل ہے
مغز پر قفل ہے
الہٰی مدد کر
مدد کی گھڑی ہے
امتحاں کی مصیبت
پیش آ کھڑی ہے
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तेरे आने की खबर से मैं घबराये जा रही हूँ,
सोते जागते तेरी याद से खुद को सताये जा रही हूँ,
कितना पढ़ लिया और कितना है अभी बाकी,
100-100 ग्राम के लड्डू भी चढाये जा रही हूँ,
और क्या सुनाऊँ नगमें अपनी हालातों के यारों
जिंदगी रिजल्ट के हवाले कर बस गुज़ारे जा रही हूँ।
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जो भी हो नींद मुझे आयेगी
कितना भी पड़ लू मगर भूल में जाऊँगी,
जो भी हो exam तो आएगा
अपने साथ तूफान तो लाएगा
हर दिन मेरा BP तो बढ़ाएगा,
कितना भी करो पड़ा हुआ कभी नहीं आएगा
Question paper देख के दिल मेरा घबराएगा,
Exam के बाद result बहुत जल्दी आएगा
घर जाकर अच्छी लंबी class लगवाएगा।
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हाँ! शायद मैं चुप हूँ,
क्योकि मेरे भीतर बहुत शोर हैं!
एक ऐसा शोर जिसमें,
जीना अब मुश्किल-सा लगता हैं!
एक ऐसा शोर जिसमें,
गूँज हैं केवल मेरी नाकामियों की!
एक ऐसा शोर जिसमें,
लाखों उम्मीदों का दम घुट रहा हैं!
एक ऐसा शोर जिसमें,
एक भी शाबाशिया नहीं, केवल ताने हैं!
एक ऐसा शोर जिसमें,
मेरी ईच्छाओ की आवाज़ दब-सी गई हैं!
एक ऐसा शोर जिसमें,
ना चाहते हुए भी, मै बस डूबती जा रही हूँ!
एक ऐसा शोर जिसमे,
जीने की धीरे-धीरे मैं आदि हों रही हूँ!!-
दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन
बैठे रहें हाथ में हरदम मोबाइल लिए हुए।।-