जो दूर है उसकी अहमियत बड़ा दे वो है समय, जो पास है उसकी अहमियत घाटा दे वो है समय जो गहरे से गहरे ज़ख्म भर दे वो है समय और जिसे कोई ना खरीद सके वो है समय।
इस भीड़ में कहीं खो गई हूं, बेपरवाह मैं हो गई हूं, मंजिल तो मैं भूल गई हूं अपनों के बीच अकेली हो गई हूं, सपने सारे भूल गई हूं बस आँखों में आंसू लिए घूम रही हूं, अब खुद से ही पूंछ रही हूं आखिर मैं ज़िंदगी से क्यों खेल रही हूं।