समय की रेत हाथ से फिसलती जाए,
हर घड़ी जीवन का रंग बिखराए।
जो खोया, वो याद बन जाए,
जो पाया, वो जीवन सजाए।
जो इसे साधे वही शिखर को पाए,
समय ही भाग्य का दीपक जगमगाए।-
वो वादा जो कल तक सांसों में बसा था,
आज बेवजह की चुप्पियों में खो सा गया है।
दिल पूछता है – क्या यही अंत है हमारी दोस्ती का?
या फिर दर्द के साथ ही एक नई शुरुआत है।
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मेहनत वो लौ है, जो हवा से खेलना जानती है,
बुझने की कोशिश में और तेज़ जलना जानती है।
उसकी रौशनी में ही सपनों का काफ़िला चलता है,
वक़्त का अंधियारा उसके आगे ठहरता है।-
दोस्ती की डोर थी नाज़ुक, ज़रा सी बात में टूट गई,
सपनों की नाव बीच लहरों में ही डूब गई।
चेहरों की पहचान अब धुंध में गुम हो गई,
बस यादों की छाँव रह गई, जो मन में सो गई।-
रिश्तों की डोरी धीरे-धीरे ढीली पड़ रही है,
हंसी की वो शामें अब यादों में सिमट रही हैं।
तुम दूर हो रही हो, मैं फिर भी साथ चलना चाहती हूँ,
पर अब ये दोस्ती जैसे किसी मोड़ पर टूट रही है।-
एक ही पल में कितनी दूरियाँ पैदा हो गईं,
बिन शब्दों के दिलों में खामोशी बस रह गईं।
साथ चलने की कस्मे अब बोझ बनकर रह गई,
दोस्ती की तस्वीरों में गहरी दरारें साफ़ उभर गई।
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धन की चमक में खो गया मन,
स्वार्थ की राहों में बिखर गया जीवन।
हथेली पर रखा सोना भी भारी,
पर प्रेम की छाया ही है असली साथी प्यारी।
जो बाँट दे अपना सुख और दान,
वही बनाता है दुनिया में पहचान।
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ग़ुस्सा वो चिंगारी है,
जो भीतर ही भीतर भड़कती है,
फिर अचानक चेहरा लाल कर देती है।
ये बाढ़ की तरह शब्दों के तट तोड़ देती है,
और सूखने पर बस पछतावे की दरारें छोड़ देती है।
कभी तलवार बनकर रिश्तों को काट देती है,
तो कभी आईने की तरह
हमें ही हमारा टूटा हुआ चेहरा दिखा देती है।
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