"प्रेम की मूरत~बेटी"
किसने कहा बेटियां पराई होती हैं,अरे
ये तो एक नहीं बल्कि दो घर की परछाई होती हैं।
आंगन की तुलसी,खिलती फूलों की क्यारी जैसे
बेटी~बहु बिना,घर की हरियाली मुरझाई होती है।
साथ निभाती उम्र तलक जन्मदाती मां का,तो
वहीं बूढ़ी होती सास के हाथों की काठी होती है।
कौन कहता है,बेटी ना इस घर की ना उस घर की
असलियत में,बेटी~बहु के बिना चौखट अधूरी होती है।
लक्ष्मी, दुर्गा, देवी,मां ,नारी सब एक ही तो रूप हैं
तभी तो बेटी,कुर्बानी,त्याग,और प्रेम की मूरत होती है।।
Happy daughter's day❤️
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