देखा था जिन पहाड़ों को अलग - अलग पुस्तकों में
पढ़ा था जिन पहाड़ों को संस्मरण और यात्रा वृत्तान्तों में,
सामने से देखकर लगा जैसे
मानो जीवन थम सा गया हो,
इसके आगे अब कुछ शेष नहीं
मानो यही जीवन का अंतिम क्षण हो।
एक सुकून, एक संतुष्टि और समर्पण ईश्वर के प्रति
जिसने इस दिन को दिखाया,
जी कर रहा था जैसे अब रुक जाऊं यहीं
इससे अच्छा जीवन का अंत और क्या होगा?
प्रियतम, प्रियस्थल और ये बर्फीला पहाड़।
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कुछ लोग बखूबी जानते हैं दूसरों का उपयोग करना
नक़ाब ओढ़कर मासूमियत का
उपहार देकर एहसानियत का
कुछ लोग बखूबी जानते हैं दूसरों का उपयोग करना ...
अपने क्रोध और बेकाबूपन को भोलेपन के पर्दे में छिपाकर
अपना काम निकलने के बाद स्वाभिमान का बहाना बनाकर ,
कुछ लोग बख़ूबी जानते हैं दूसरों का उपयोग करना...
तारीफों के लंबे पुल बांधकर ,मिठाइयों के डब्बे बाँटकर
रिश्तों के नए - नए नाम देकर कुछ लोग बढ़ाते हैं हाथ दोस्ती का
कुछ लोग बख़ूबी जानते हैं दूसरों का उपयोग करना....-
है हमारी ज़िम्मेदारी ,
प्लास्टिक मुक्त पर्यावरण
है हमारी जवाबदेही ,
आइए करें कपड़े और कागज
के थैले का उपयोग
बनाएं स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण
करें आने वाली पीढ़ी के लिए सहयोग।-
भारत ने सदैव शांति को चुना है
एक -एक प्राण को महत्व दिया है,
केवल उन्मत होकर आक्रमण
भारत की नीति नहीं थी, न होगी ।
दुर्जनों को हमने माफ भी नहीं किया है
लहू बहाना हमारी नीति नहीं रही।
उजड़े घर,बिखरा परिवार न हमें चाहिए
न हम दूसरों का ऐसा हाल देखना चाहते हैं।
शांति से जीना और दूसरों को भी शांति देना
हमारी संस्कृति है और हमें अपनी संस्कृति पर गर्व है।
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हे अति सुंदरी
हे जनक नंदिनी ,
हे त्याग मर्यादा की प्रतिमूर्ति
हे सत्य धर्म पथगामिनी ,
हे धीर - वीरांगना मैथिली
हे श्रीराम अर्धांगिनी माँ सीता;
तुम्हें शत - शत नमन है 🙏
तुमने पतिव्रत धर्म सिखाया
तुमने आज्ञाकारिता सिखाया ,
जब तुमसे सहन न हो सका अन्याय
तुमने सत्य उद्भेदन का मार्ग दिखाया ,
हे सीता! समाज ने तुम्हारा परिचय
पति और पिता से ही जोड़कर बताया ,
पर तुमने जो स्वयं अपनी पहचान बनाई है
वो समाज भले न सही पर स्त्रियों ने जरूर माना है।
- शब्द
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धार्मिक ग्रंथों ने सिखाया धर्म सर्वोपरि
शिक्षा स्थलों ने सिखाया मानवता सर्वोपरि ,
मानवता ने सिखाया देशभक्ति सर्वोपरि
फिर ! कहाँ प्रशिक्षित होते हैं ये आतंकवादी ?
जिनके लिए हिंसा और हत्या है सर्वोपरि ।
दोष क्या था उन निहत्थे ,मासूम लोगों का
जिनके लिए परिवार और खुशी थी सर्वोपरि !
तो अब पर्यटक स्थल भी अब सुरक्षित नहीं?
किसको दी जाए जिम्मेदारी?
किसपर लगाया जाए आरोप?
इन अमानवीय गतिविधियों पर कब लगेगा अंकुश?
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शुक्रिया संदेश
शुक्रिया 🙏
बीतते वर्ष का
बिछड़े लोगों का
बिगड़े हालातों का
बिलखती रातों का
बिगाड़ने वालों का
बहुत बहुत शुक्रिया 🙏
शुक्रिया ♥️
साथ देने वालों का
संभालने वालों का
सीख देने वालों का
समझने वालों का
सभी का तहे दिल से शुक्रिया♥️
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बड़प्पन सीखे कोई उगते हुए सूरज से -
धुंध भरी सुबह चुपके से उगता हुआ सूरज
जैसे लेकर आता है उष्णता की उम्मीद ;
ओ मानव ! बनना है बड़ा तो तुम भी बनो
किसी उच्छित्र के मरहम या मुफ़ीद.....-
कुछ ही दिन पहले की बात है -
वक्त का तकाज़ा देखिए ज़रा
जिस धूप से भागते थे दूर
आज उसमें ही रहना अच्छा लगने लगा है ;
समय - समय की बात है हुज़ूर!
जिनसे शिकायतें थी कल तक
आज उनका ही साथ अच्छा लगने लगा है।-
आपके जीवन का हर दिन ईश्वर का दिया तोहफा है ,
आप उस तोहफे को कितने अच्छे से जीते हैं !
ये आप पर निर्भर करता है।
तो सोचना क्या है ?
ठंडी हवाओं में घूमिए ,
पत्तों की सरसराहट का संगीत सुनिए और ईश्वर को इतने अच्छे दिन देने के लिए धन्यवाद दीजिए।-