कयामत के लिए चल पड़ी है दुनिया
मैं आंखों से अंजाम देख रहा हूं।
महाशक्ति बनने की होड़ में है सब
मैं इंसानियत का अहंकार देख रहा हूं।
साजिशें करते कुछ गद्दारों के आगे
मैं करोड़ों को लाचार देख रहा हूं।
हिटलर की तबाही से उभरी नहीं है दुनियां
मैं वहीं मंज़र फिर तैयार देख रहा हूं।
मजहब पर बंट चुकी इस दुनिया के
हर हिस्से में अंधकार देख रहा हूं।
झूठी शान के लिए लड़ पड़ी है दुनिया
मैं तबाही के वो निशान देख रहा हूं।
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