Rj Raj singh (राज़े)   (अल्फ़ाज़ ही आवाज़ है (Raj))
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Joined 22 October 2018


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पूर्ण होने को प्रेम प्रतिष्ठा नहीं,
प्रयत्न मांगता है।

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मेरा समर्पण तुम्हारे प्रति,
शब्दों में व्यक्त कर पाना असंभव है ।

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मन हो या मेघ,
छलकते तब है, जब भर जाते हैं ।

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मुझे उपलब्धियाँ नहीं,
तुम जरूरी हो ।

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समंदर से गहरे ख्याल मेरे,
महज तुम तक सीमित हैं ।

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प्रिय के हृदय से लगना,
प्रेम की सबसे सुंदर अनुभूति है।

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वो - प्रेम क्या है ?
मैं - प्रेम प्रतीक्षा है ।

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उलझनों को मेरी
जो जड़ से समाप्त
कर दे ।
वो महज़ साथ है
तुम्हारा ।

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गहरे कोहरे और अंधे विश्वाश में
इंसान को कुछ नज़र नहीं आता ।

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