मोहब्बत और हवस की तमीज़ नहीं है
और शहर भरा हुआ है हीर-रांझो से-
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मुझे गिला है की ग़ालिब का कहा ठीक नहीं हुआ
हद से गुजर जाने के बाद भी मेरा दर्द दवा नहीं हुआ-
अब तो मर जाता है रिश्ता ही बुरे वक्त पर
पहले मर जाते थे रिश्तों को निभाने वाले
अब जो तेरे ऐब बताता है उसे मत खोना
यार कहां मिलते हैं आजकल आईना दिखाने वाले-
तुम थोड़ा नजर अंदाज करके तो देखो हम
तुम्हें पहचानने से भी इनकार कर देंगे-
जो छोड़ कर चले गए वो लोग सस्ते थे
ऐसे लोगों के लिए में महंगे आंसू नहीं बहाता-
वो लड़कर भी सो जाए तो, उसका माथा चुमू में
उससे मोहब्बत एक तरफ है, उससे झगड़ा एक तरफ-
दो पल का सुकून नहीं है आज की इस दोस्ती में
लोग तो दिलों में भी, दिमाग लिए घूमते हैं-