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ज़रा हिफाज़त से रखो दिल के ज़ज़्बात , हर कोई यहाँ सच्चा नहीं ,
ये बेइमानों की दुनिया साहब, ज़ियादा सदाक़त में जीना अच्छा नहीं।।
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सच की कोई चिंता नही है, नामदार सभी व्यापार में है,
दौरे गुलामी चल रही है, हर सेवक अभी बाज़ार में है।।-
शख्सियत मेरी भी बेदाग हुआ करती थी,
यह तो तेरे रवैए ने बेईमान बना दिया।-
एक सवेरे की कहानी
ना मैं रहूँगा,ना मेरी यादे रहेगी
कुछ एक लोगों के मुँह पर मेरी बाते रहेगी
कई सुनकर ख़ामोश भी होंगे
और कईयों को याद मेरी पहली मुलाकातें रहेगी-
Jazbat ka tha toofan utha
Khatre me tha imaan zara
Nazuk si ghadi aur teri zid
Tha mausam bhi beimaan zara
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उठे थे मानवता को जगाने
मानव जागा नही खुद ही
जगत में खो गए
इंसानियत जो इंसान में
हुआ करती थी
उसी में बेईमान पैदा हो गए-
मुझको देख के हैरान-परेशान लोग रहते हैं ,
मेरे घर में जाने कौन अनजान लोग रहते हैं ,
ये लोग है कुछ अजीब से , हस्ते खेलते नहीं ,
यहाँ पर ज़िंदा शरीरों में बेजान लोग रहते हैं ,
यहाँ तो सबने ही एक मुखौटा पेहना हुआ है ,
भोले चेहरे के पीछे सब बेईमान लोग रहते हैं |-
वो था तेरे दिल का मेहमान
जिस्म को तेरे खिलवाड़ बनाया
रूह को तेरे निचोड़ा
झूठी मोहब्बत का अफसाना रच तुझे हसाया
बाद मे बेवफाई का तराना सुना के तुझे रुलाया
कुछ इस क़दर उस दिल के मेहमान ने तेरे दिल को जलाया
फिर आखिर क्यों
उस शख़्स के लिए आँसू बहाती है तू
उसके लिए ज़िन्दगी से नाते तोड़ती है तू
अपनी शख्सियत पे सवाल उठाती है तू
इस दिल्लगी के लिए खुद को दोषी ठहराती है तू
मोहब्बत से तेरी वो था अनजान
इस्तेमाल किया तुझे जैसे कोई सामान
बस इतना तू जान
वो था दिल का शैतान
मानता हूं मुश्किल है भूलना वैसा इंसान
तू है ज्वाला इतना बस जान
बना ले अपना लक्ष्य ऊँचा जैसे आसमान
पुरे कर अपने हर अरमान
बना ले ऐसी पहचान
ऊँचे पर्वत सा बने तेरा अभिमान
और वो तड़पे लेके तेरा नाम
तू बना अपनी पहचान
वो दे गया तुझे ज़िन्दगी का एक जरुरी ज्ञान
कुछ पल को सही पर वो था तेरे दिल का मेहमान-