वस्ल के इंतजार में गुजरी एक और रात
उस रात सिर्फ खयालों में आए तुम
जो शाम बीत चुकी थी
उस शाम की बात किए
एक और रात काट गए
उम्मीद में सुहाने सुबह की
हर शाम तुम्हारे नाम करते गए
मोहब्बत तो यूं ही बदनाम हुई
तेरे मेरे सवालों के बिसात में
ना हमने घुटनो पे बैठ मनाया
ना तुमने प्रेम का शिकारा मुझ तक लाया
हर शाम तन्हाई में काटते गए
उम्मीदों के गरजते बादल तले
हर रात बरसात का इंतजार करते रहे
ना बरसात आई, ना तुम
वस्ल के इंतजार में गुजरी एक और रात
उस रात सिर्फ खयालों में आए तुम।
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