शुभम् निशु कौशल   (©®शुभम् निशु कौशल)
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Joined 16 May 2020


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Joined 16 May 2020

प्यार जानता हूँ मै, अहसास बहुत करके,
तेरे दिल में रहता हूँ, बर्दाश्त बहुत करके।।

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बातों से शुरु होकर बढ़ जाए अगर बातें,
तो उन जज्बातों को कभी न रोकते ही है,
मुश्किल से कोई चुनता है अपनी पसंदो को,
पसंदो को चालाकी से यूँ ही न छेड़ते ही है,
प्यार हो, दोस्ती हो, चाह हो, मन हो या हो ये दिल,
किसी के साथ शिद्दत से,
चाहे निभा दो तुम कोई रिश्ता,
मगर दिल तोड़ने वाले यहाँ दिल तोड़ते ही हैं।

२२.०१.२०२५ २२.०५

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हर मरते इंसान की चाहत क्या होगी,
बस जां होगी,

दुनिया भर को झेल रहा मन, हर मुस्कान कई उलझन है,
चेहरा घिस के सुर्ख हो गया, हर सुख एक नयी तड़पन है,

मिले फायदा तो कोई अपना, और प्रतिशोध ही एक फायदा,
गिरा के उसको झुका के उसको, जीत मिले दुनिया का कायदा,

इन सब के बाहर एक दुनिया, जिसकी केवल हम दुनिया है,
वो जाने मुस्कान के पीछे, छिपे दर्द का क्या हुलिया है,

क्या है सच और क्या है दिखावा, इस सच को भी जान रहे जो,
जीत की खातिर हार रहे जो, टूटे मन को पाल रहे जो,

गिरे पड़े बोझो से लदे इन, सारे झमेले ले लौटे उस,
हर उतरे चेहरे की रंगत क्या होगी,
बस माँ होगी,

हर मरते इंसान की चाहत क्या होगी,
बस परिवार और जां होगी।।

०१.०१.२०२५ २३ बजकर १८ मिनट

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मधुर आवाज़ से पिघली हुई गम की दवा सी वो,
कोई वीना की धुन कहती हो जैसे कहानी को,

आँखों की चिंगारी में जैसे घुल के निखरी हो,
कोई तस्वीर जिसमें साथ में ही आग पानी हो,

धूप में खिलखिलाये छत पे चढ़कर जब हसी चेहरा,
घटाए भी, सदाये भी, दिशाये भी दीवानी हो,

निकल जायेगी मुझको छोड़कर कितना भी आगे वो,
संभाले मैं रखूंगा जिंदगी भर चेहरा रुमानी वो।।

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खाली है सब भरा हुआ सा, एक बहादुर डरा हुआ सा,
ताज़ा फल इक सड़ा हुआ सा, बेमन केवल धरा हुआ सा,
यही कहानी जीवन भर की, जीवन है पर जला हुआ सा,
घूम रहा है जिंदा पुतला, जिंदा है पर मरा हुआ सा।।

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न हर्षज्ञ, न दुःखज्ञ,
न पूर्णज्ञ, न अपूर्णज्ञ,
न प्रसंग, न संज्ञ,
न प्रज्ञ, न तत्वज्ञ,
न आज्ञ, न उपज्ञ,
न अज्ञ, न अल्पज्ञ, न सर्वज्ञ,
अहम् स्थितप्रज्ञ।।

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क्या होगा हरेक पड़ाव, जाने जीवन का अगला,
मन को है लेना बदला, मुझमें कुछ तो है बदला,
बदलाव है वो जो है बदला, या फिर कोई है बदला।।

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देख रहा हूँ दुनिया काबिल, हर कोई जलन का मारा है,
इतना ज़हर भरा है जैसे, शिव ने कंठ जमीं पे उतारा है,
सोच है अपना मीठा मीठा, बाकी दुनिया कड़वी रहे,
मन में कुंठा बहुत भरी है, बाहर बस उजियारा है।।

Happy Diwali

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नदी हो सामने पर, दिन को रेगिस्तान कर देना,
प्यास के एक झरोखे से, नदी नीलाम कर देना,
तोड़कर भूख की हद को, उसे बस आम कर देना,
इतना कष्ट सहकर भी, यहाँ सब काम कर देना,

ये भारतीय नारी की ताकत है,
किसी को मानकर अपना,
उसे इंसान से इक चाँद, फिर भगवान कर देना।।

२०.१०.२०२४ ०८.४२

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दृष्टि से ना दृश्य हैं, ना दृष्टि से भी दृश्य हैं,
है वास जिनका कण-कण में, हर क्षण में जो अदृश्य है,
हर कष्ट में पुकार्य हैं, हर सुख में जो स्वीकार्य हैं,
समस्त ऊर्जा स्रोत है, वही समस्त कार्य हैं,
जो सोच से परे भी है, जो सोच में धरे भी हैं,
सकल समाज सार हैं, जो ना करें करें भी हैं,
स्वयं में जो अनंत है, समस्त है भगवंत है,
शांत है ज्वलंत है, आधारहीन अंत है,
इस समस्त सृष्टि के, शुरुआत का प्रमाण है,
इस समस्त सृष्टि के, सृजन का पूर्ण विराम है,
वही हमारे राम हैं, अयोध्या नरेश राम है,
कोटि-कोटि प्रणाम है, वही हमारे राम है।।
१६.१०.२०२४ ११:५९

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