कभी कभी हाले दिल पूछ भी लिया करो जनाब,
जरुरी नहीं की हर बार बाजी तुम्हारी ही हो!!-
28 FEB 2018 AT 20:58
26 AUG 2019 AT 23:32
मसला मोहब्बत का था ज़नाब
वरना बाज़ी शतरंज़ की हो या जिंदगी की
हारे तो हम भी नही है ।-
26 JUL 2020 AT 12:55
चलो एक बाजी फिर से लगायें।
पिया तुम जीत जाना, मैं खुद को हार जाऊँ।।-
24 JUN 2019 AT 18:32
Or ye bhi nhi samajh pata
Ki
Wo baji jeet nhi rha he blki
Ham use jita rhe he-
8 JUL 2019 AT 20:31
खेल अल्फाज़ो का कुछ यूँ उसने खेला था ।
बारी ख़ुद की आने पर ,
बाज़ी बख़ूबी उस ने पलटा था ।
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