स्वागत है आपका
मिस औरा
हमारी अपनी
प्यारी बोंदिता
हम फेंस के
दिल में.....
लौट आई तुम
हमारे
बीच में.....
बता नहीं सकते
कितनी
खुशी है
हम में.....
बयान करने को
शब्द नहीं है
हमारे
पास में.....।
WELCOME BACK AURRA☺
— % &-
बुर्ज से गुजरती,हवा कहती है
हे माता।
मैं अपनी शीत कम कर लू
मैं भी थोडी़ सेवा कर लू
इस पर 'माता गुजरी' कहती है,
"जब इन 'छोटे मासूम बालकों' को
अपना धर्म त्यागना स्वीकार नहीं,
तो तू अपना धर्म क्यों त्यागती है"।
तेरा तो धर्म ही है
निरंतर शीतलता से बहना....।
तू अपना धर्म निभा...
हम अपने धर्म पर है....।-
प्रवी,प्रवी क्या कहूँ मैं
आपके विषय में, प्रवी
कलम मेरी ठहर-सी जाती है।
शब्दो का जैसे पडा़ है अकाल
पन्ने पर उतरने को
करते है आनाकानी हजार।
आसमान का चांँद हो आप
चमकता हुआ सितारा हो आप
गुणों की खान हो आप
दुनिया में सबसे अलग हो आप।
बहुत खास रहें आपका,आगे का सफर
ये दुआ है आपके लिए,हमारी ओर से
जन्मदिन की मुबारकां हो आपको
'शालिनी' की ओर से।
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है तू कितना नादान...
इस दुनिया से है अनजान...
बात-बात पर मुस्कुरा
देता है...
भूख लगे तो, रो
देता है...
पापा और दादा का
दुलारा है...
अपनी माँ की आँखों का
तारा है...
रोते रोते चुप हो जाता है...
जब छोटी मौसी की,
गोद जाता है...
कपडे़ गीले कर...
जब होता है, शरम से पानी-पानी...
तब याद आती है...
राजकुमार को, अपनी नानी...
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अब तक तो हमारा देश
अंग्रेजो का गुलाम था ही,
और अब
अब उनकी भाषा का गुलाम
हो गया है।
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गलत ये नहीं
कि हम
हिंदी बोलते है
गलत ये है
कि, हिंदी बोलते हुए हम
शर्मिंदगी महसूस करते है।
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काका ससुर जी जितना
बडा़ है नाम आपका
उतना ही बडा़ है
दिल आपका।
कह रही है ये आपकी
नन्ही बोंदिता
और आपकी
सुलक्ष्णी बहु बोंदिता।
है आप बिल्कुल नारियल जैसे
ऊपर से जितने सख्त है आप
अंदर से उतने ही नरम है आप
भगवान से है आपका ऐसा नाता
जो कभी टूट नहीं है पाता
कभी डांट लगाते है
तो कभी स्वयं, मरहम बन जाते है।
ये है काका की कहानी
जो है बोंदिता की जुबानी
और 'शालिनी' के कलम की नादानी।-
दिखती हो तुम परी
जैसे आसमान से है उतरी
खुशियाँ बिखेरते हुए करती हो
तुम बातें प्यारी-प्यारी।
हर किसी की, खुशी का कारण
तुम हो बन जाती
जब कभी तुम यूहीं
मुस्कुरा हो देती।
न कभी किसी की बात को
दिल से लगाती
न कभी किसी को रूलाती
अपने हर एक रिश्ते को
बडी सिद्दत से हो निभाती।
इसमें नहीं है कोई शक
कि आजतक तुम जैसी टीचर
और तुम जैसी लड़की
मैंने नहीं देखी।
दिखती हो तुम परी
जैसे आसमान से है उतरी।-
कैसे मिटाया होगा उस बच्ची ने
अपनी माँग कि सिंदूर,
कैसे किया होगा उसने
अपने रिश्ते को, खुद से दूर।
कैसे डाला होगा उसने
अपने मुँह पर ताला,
जब निकाला होगा
अपने हाथों का शाखा-पोला।
दुनिया का सबसे अच्छा पति
भी मिलने पर,
तय करना पडा उसे
तलाक-तक का सफर।
कैसे सहा होगा उसने
इतना दर्द,
क्या किसी को न थी
उसकी कदर।
आसूँओ के भी,आँसू छलके होंगे
जानकर उसकी परेशानी,
जिसकी साक्षी है
'शालिनी' रानी।
-Shalu kour
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यूही नहीं कोई कामयाब
हो जाता है....
यूही नहीं हर कोई, नीरज चोपडा
बन जाता है....
मेहनत को कामयाबी का नाम देना
आसान नहीं होता....
ना जानें कितनी रातों में, खुद को
जगाना पड़ता है....
धूप में खुद को तपाना पड़ता है....
आँसू के हर एक, बहाने को
भुलाना पड़ता है....
यूही नहीं कोई रातों रात
सितारा बन जाता है....
उस सितारे की, रात का सफर
बहुत लम्बा हो जाता है....
ना जानें कितनी बार, खुद ही
खुद से लड़ना पड़ता है....
टूटे आत्मविश्वास को
जोड़ना पड़ता है....
यूही नहीं हर कोई, नीरज चोपडा
बन जाता है....
_shalu kour
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