जो भी बना जैसा भी बना उसी की तस्वीर हो गयी
हक़ीक़त न सही ख़्वाबों में ही वो मेरी हीर हो गयी।-
आपने तो दो आंखों से दुनिया देखी होगी साहब
मैंने तो दो आंखों में अपनी दुनिया देखी हैं।-
कौन ज़हीर करता है प्रेम ,
जैसे किया रांझा और हीर ने ।
लिखा था नितिन कभी रेत पर ,
वो भी मिटा दिया इस समीर ने ।
वैसे गया था अस्तित्व मिटाने ,
आकर रोक लिया किसी धीर ने ।
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सुना है ,दुआ क़ुबूल ना होने पर,
लोग पीर बदल लेते है,
जनाब जिस्मानी मोहब्बत ना मिलने पर
आज कल के राँझे हीर बदल लेते है..।।-
तुमने हुस्न को जागीर समझा है
अपने लिखे को मीर समझा है
तुम ख़ामख़ाह पड़ी हो इस झंझट में
जब हमने तुमको अपनी हीर समझा है-
कौन कहता है इश्क़ में शीरीं फ़रहाद होना जरुरी है
कौन कहता है इश्क़ में हीर रांझा सा मरना जरुरी है
इश्क़ कभी कभी तुम सा भी होता है
इश्क़ कभी कभी मुझ सा भी होता है
जब मैं साँस लेती हूँ अपनी हथेलियों
में नाम तुम्हारा छिपाकर , इश्क़ तो ये भी है न जब तुम
मेरी परवाह करते हो , रातों की नींद मेरे नाम करते हो
इश्क़ होता है जब मेरी मेहँदी का रंग
लोगो को मेरी किस्मत पर रश्क़ देता है
इश्क़ होता है ये भी जब तुम्हारा खफ़ा
होना मेरे दिल में बेमौत वाली हूक सी क़सक उठाता है
जब तुम अपनी की गलतियों की दिल से माफ़ी मांगते हो
इश्क़ होता है मेरी कविता में तुम्हारा ज़िन्दा होना
इश्क़ होता है तुम्हारी जुदाई में मेरा अजंता होना
इश्क़ ये भी है जब तुम दुनिया के सामने इक़रार करते हो
मेरे जाने की बात से सारी दुनिया की रस्मों का तिरस्कार करते हो
इश्क़ तुम हो इश्क़ मैं हूँ
राधा सी नही मीरा सी नही
बस चाँद सा और इस रात सा
जब मेरे साथ की ख़ातिर पुरे 12 घड़ियों का इन्तज़ार करते हो
हाँ मैं हूँ तुम्हारी मेरी अखंड सांसो तक क्यों की तुम मुझे मुझसे ज्यादा प्यार करते हो
मेरी हंसी की ख़ातिर सारे एहतराम करते हो ।-
प्रीत हो गई थी जब पतंगे सी उसको तो जलना तो उसकी तक़दीर थी
फिर डरता था क्यूँ वो भला आग से जब प्राणों से प्यारी उसे हीर थी-
एक पल में मुझे हर खुशी मिल गई थी,,,,
हुआ जब सवेरा मेरी आंख खुल गई थी,,,,
वो मेरा नीद मैं हसीन सपना था यारों,,,,
एक पल के लिए जैसे मुझे हीर मिल गई थीं,,,,-
अगर की गयी होती
प्रेमियों के आँसुओं की गणना
तो जनगणना में प्रेमी
बहुसंख्यक लिखे जाते-