दिसंबर यूँ ही गम में गुजार दिया ,
सोचा था ये जनवरी जान बनेगा ।
अब तो बस यूँ लगता है यार ,
ये साल भी पलभर का मेहमान बनेगा ।
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-From:City of Taj (Agra)
-(Nature🌴,music🎧,
Badminton🏸,Kabadd... read more
लड़खड़ाया था ग़र गिरा नहीं हूँ मैं ,
ग़म - ए - जिंदगी से डरा नहीं हूँ मैं ।
ये तुम्हारी दुआ काम नहीं आई ,
यार ! दुःख मनाओ मरा नहीं हूँ मैं ।-
ये दिल खुद मुझसे लड़ रहा है ,
तेरे बाद दर्द-ए-ग़म बढ़ रहा है ।
कुछ समझ आए तो बता 'नितिन',
मदिरा का असर सिर चढ़ रहा है ।-
ग़र गुलाब देने मात्र से प्यार होता ,
तो बेचने वाला सबसे अमीर होता ।-
इस मतलब की दुनिया में मौन हूं मैं ,
कल मैंने परछाई से पूँछा कौन हूं मैं ।-
फिर उसकी बातें मेरे नाम नहीं हुई ,
लगता है आज शहर में शाम नहीं हुई ।-
दिन में लुटा चैन , रातों को लुटे हैं घर ,
कहीं डूबा मैं , तो कहीं डूब गई कमर ।
जरूरत पर आए घर-घर हाथ जोड़े ,
अब नहीं किसी को किसी की खबर ।
पानी पानी हर जगह नजर जहाँ तक जाए ,
बूँद भर पानी नहीं जब बात पीने की आए ।
न तो मिले चैन और न ही नींद आए ,
आए भी तो बस खाकर भूँख सो जाए ।-
गुलाबों सी महकती सभी शाम आऐं ,
खुशियाँ आपके हिस्से तमाम आऐं ।
गम का साया जैसे कोसों दूर रहे ,
यह प्यार हमेशा यूँ ही मशहूर रहे ।-