Nitin Dutt Kushwah   (©Niतिन...)
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Joined 3 December 2018


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18 FEB AT 9:31

लड़खड़ाया था ग़र गिरा नहीं हूँ मैं ,
ग़म - ए - जिंदगी से डरा नहीं हूँ मैं ।
ये तुम्हारी दुआ काम नहीं आई ,
यार ! दुःख मनाओ मरा नहीं हूँ मैं ।

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15 FEB AT 16:45

ये दिल खुद मुझसे लड़ रहा है ,
तेरे बाद दर्द-ए-ग़म बढ़ रहा है ।
कुछ समझ आए तो बता 'नितिन',
मदिरा का असर सिर चढ़ रहा है ।

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8 FEB AT 17:58

जब सबकुछ डर जैसा लगता है ,
तब मयखाना घर जैसा लगता है ।

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8 FEB AT 11:17

ग़र गुलाब देने मात्र से प्यार होता ,
तो बेचने वाला सबसे अमीर होता ।

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30 JAN AT 9:14

ऐ कोहरे तू यूँ न छाया कर ,
यार सूरज तू रोज आया कर !

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29 JAN AT 19:41

इस मतलब की दुनिया में मौन हूं मैं ,
कल मैंने परछाई से पूँछा कौन हूं मैं ।

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1 JAN AT 21:25

फिर उसकी बातें मेरे नाम नहीं हुई ,
लगता है आज शहर में शाम नहीं हुई ।

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26 JUN 2022 AT 12:16

दिन में लुटा चैन , रातों को लुटे हैं घर ,
कहीं डूबा मैं , तो कहीं डूब गई कमर ।
जरूरत पर आए घर-घर हाथ जोड़े ,
अब नहीं किसी को किसी की खबर ।
पानी पानी हर जगह नजर जहाँ तक जाए ,
बूँद भर पानी नहीं जब बात पीने की आए ।
न तो मिले चैन और न ही नींद आए ,
आए भी तो बस खाकर भूँख सो जाए ।

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22 MAY 2022 AT 14:49

गुलाबों सी महकती सभी शाम आऐं ,
खुशियाँ आपके हिस्से तमाम आऐं ।
गम का साया जैसे कोसों दूर रहे ,
यह प्यार हमेशा यूँ ही मशहूर रहे ।

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21 MAY 2022 AT 19:25

पढ़ने में मुझको तुम जितना स्नेह दिखाओगी ,
यकीन है मेरी ग़ज़लों में खुद को ही पाओगी ।

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