योग ;
जहाँ चित्त एकाग्र हो ।
जहाँ स्थिरता हो ।
जहाँ सौम्यता हो ।
जहाँ साधना हो ।
जहां समर्पण हो ।
जहाँ मनुष्य धीर - गंभीर बने ।
जहाँ स्वास्थ्य संतुलित हो ।
जहाँ शांति की पराकाष्ठा हो ,
जहाँ क्रोध का नामोनिशां भी न हो ।-
सोचता हूं , समझता हूं और लिख देता हूं जज़्बातों को... जिन्हे लिए फिरता रहता हूं आज कल अपनी ख्वाहिशों के बोझ तले ,
बस चलते जा रहा हूं जीवन के ना खत्म होने वाले पड़ाव पर और पीछे छूट रहे हैं उम्मीदों के निशान , दिलों के अरमां !
सही कहुं तो स्थिर हूं ही नहीं...
अकेला मैं ही नहीं यहां कोई भी स्थिर नहीं हैं कहीं भी स्थिरता नही है !
आज जो साथ हैं कल नही रहेंगे कल जो साथ हैं वो परसों नही रहेंगे
रास्ते सबके एक हो सकते हैं किन्तु पड़ाव नही अंततः साथ छूट ही जाता है अंत में बच जाता है बस एक अंतहीन सा शून्य जिसमें कहीं खोए हुए आप ही रह जातें हैं कुछ टूटी फूटी यादें रह जाती हैं और शायद यही जीवन है!
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तुम गुज़र जाना
धीरे-धीरे
मुझसे मेरा सब कुछ लेकर
जैसे धूप गुज़र जाती है
फूस के छप्पर पे
बैठी हुई - गिलहरी की पीठ से
और गिलहरी दौड़ती रहती है
छप्पर से मुंडेर तक
निश्चिन्त और प्रसन्न
वह भ्रम नहीं पालती
कि धूप ठहरेगी उसके पास
उसे एक गुनगुने आलिंगन का एहसास देगी
और दौड़ेगी उसके पीछे कुछ दूर तक....!!
इसीलिए वह भी गुज़रती रहती है
धूप की तरह ही
हर शाख़ पर, हर मुंडेर पर
और हर छप्पर पर
कभी-कभी स्थिर रहना
बहुत दुःखदाई होता है .....!!
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एक अरसा बीत गया,
और हम दोनों आज तक उसी बिंदु पर हैं,
संयम, स्थिर तथा प्रतीक्षारत,
एक दूसरे के लिए।
क्या अगले एक अरसे तक,
हम दोनों रह पाएंगे इस बिंदु पर..??
इसी भांति स्थिरता के साथ प्रतीक्षारत,
एक दूसरे के लिए।-
प्रेम और प्रकृति।
हाँ...
यह भी शाश्वत सत्य है कि...
प्रखर वेगों का चरम्
स्थिरता ओं का जनक है ,
....जैसे तीव्र
बे काबू
बवंडरों के उपरांत
शांत...स्थिर ...
ठहरी हुई हवाएं ।
(संपूर्ण रचना
अनुशीर्षक में)-
ये मन कितना सोचता है
अच्छा और बुरा सब सोचता है
अच्छे लोगो के साथ विस्तार करता है
परिस्थितियों का मार्ग प्रशस्त करता हैं
अच्छे विचार सुकर्म का परिणाम है
नजरिया नेक हो ये शुभ उद्देश्य का परिणाम है-
कई बार हम स्थिरता चाहते हैं और कालांतर के स्थिरता से बेचैन भी हो उठते हैं बेचैन अस्थिर मन अधीर हो प्रश्न करता है स्थिरता थी ही कहां?जो थी तो मौजूदा बेचैनी क्या है?
हम लोगों के प्रिय होना चाहते हैं भीड़ चाहते हैं आदर्श होना चाहते हैं....फिर अगले ही क्षण एकांत चाहते हैं एक लंबे वक्त के लिए
उदासीनता में भावनाओं के प्रति लगाव ,भावनात्मक आवेग में उदासीनता की जरूरत महसूस करना
मुश्किल है मन के चाल में चलना भी और उसे चलाना भी-