अमृत का अस्तवित .......
......... समझ नहीं आता
और विष का एक बूँद ....
अपना असर कर देता....
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सब कुछ तो दफ़न
कर लिया
फिर भी ये आँखे
समंदर बना बैठा है
क्या तलाश है इसे,
जो मन कि व्यथा
समझ नही
पा रहा है
कैसे कह दूं इसे.....
बहना भी अकेले है
ये जज़्बातों के भवंडर
डुबो देते हैं अक्सर
दुनियां के खारे
व्यवाहर सें.....
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बेवजह नाराज़गी का
तो पता नही.....
पर बेवजह ख़ुश होना
जीवन को चहकना जरूर
सीखाता है...-
..............यही मंजर है...
यहीं दुनियां है..............
यही सच है.....................
यही पर मुस्कान शायद....
अच्छी तरह पनपती हैं.....
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मायने बदल गये
रास्ते बदल गये
इंतजार के वो सारे पल
बदल गये
ढल चुके हम अपने जीवन मे
जीने के सारे रंग
बदल गये
.......
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अगर आप प्रसन्न है
........तो आपका परिवार प्रसन्न है
और आप का परिवार प्रसन्न है
......... तो आप......
…...................सबसे पावरफुल
इंसान हो…..................-
मिल भी जाए छांव कभी
किसी रास्ते में
तो फ़िर क्यों रुक जाए
कोई कितना भी बढ़ा ले हाथ
तो फ़िर क्यों थाम ले......
जब मिल जाता है
वजूद किसी के साथ
तो फिर क्यों...... किसी
और रास्ते पर चले...
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कभी-कभी मौन
रिश्ते में दवा भी बनती है
और ज़ख्म भी............
अब तो ख़ामोशी से भी
गिले शिकवे होंने लगें........-