Abhishek gautam   (/\bhi)
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Joined 1 November 2018


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30 JUL 2019 AT 19:12

कुछ रिश्ते



कुछ रिश्ते पौधशाला में उगे वृक्ष के जैसे होते हैं ।
जिन्हें हम बड़ी सावधानी से बड़ा करते है ।
समय के साथ भावना रूपी फल से उसकी लताएॅ झुक
जाती है । कई बार बाहरी ओज से वह लताएॅ टूट जाती है और वृक्ष उसको सह जाता है । लेकिन जब उसकी जड़ पर प्रहार होता है तो वृक्ष उसको सह नहीं पाता और सिर्फ एक जड बचती है ।
" एक मृत जड "

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2 JUN 2019 AT 21:41

जब मैं स्व में होता हूँ , मैं बहुत स्थिर होता हूँ ।

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4 MAY 2019 AT 23:52

जिस रास्ते पर मुझे चलना है उस पर भावनाओं का कोई स्थान नहीं है । आज उन भावनाओं को चुपके से बुलाकर जहर खिला दिया । कमबख्त फिर भी साँसें भर रहीं हैं । छत पर जाकर दे दिया दुबारा धक्का और एक मोटी रस्सी भी फेंक दी ताकि लगा ले वो फाँसी ।
जिससे जी सकूँ मैं स्वछन्द होकर ।

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23 MAR 2019 AT 12:44

पैर के छाले बता रहे हैं कि ,
कितनी ऊँची इमारतों का निर्माण कर दिया ।
खुद आधे पेट रहकर ,लोगों को मालामाल कर दिया ।

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16 MAR 2019 AT 14:34

एक फूल व तितली अच्छे सहयोगी थे ।
एक पल तितली को सन्देह हुआ फूल की खुशबू पर ,
अगले पल फूल ने खो दी अपनी खुशबू हमेशा के लिए ।

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9 FEB 2019 AT 19:22

आज फिर वही गम याद आया ,
आज फिर उन्हीं दु:खो में खुद को पाया ।
सोचा लिख दूँ ड़ायरी के पन्नों में इस बार,
पर ये भी मैं कर न पाया ।
उठाया पेन और ड़ायरी इस बार,
और लिख ड़ाला उन सभी युद्धों,
क्रान्तियों और संघर्षों को जो लड़े थे
मनुष्य ने अपने अभिमान में ।

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8 FEB 2019 AT 17:34

बहुत पुराना रिश्ता है, मेरा और अश्को का ।
लोगों के पोछें तो कमवख्त मेरे आ गये ।।

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6 FEB 2019 AT 17:26

दो फूल नराज थे , मिले मुस्करा दिये ।

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9 JAN 2019 AT 10:09

धर्म, जाति, सम्प्रदाय का नशा ।
अफीम, कोकीन , शराब के नशे से ज्यादा भयंकर होता है । अफीम, शराब के नशे से व्यक्ति केवल खुद को दूषित करता है लेकिन धर्म, सम्प्रदाय, जाति के नशे से व्यक्ति पूरे समाज को दूषित करता है ।

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4 JAN 2019 AT 10:30

कल अजीब वाकया हुआ मेरे साथ ,
जिदंगी बोलती रही ।
और मैं मूक खड़ा रहा ।।

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