हवा तेज है पर हम भी तैयार है
आसमान ऊचा है पर हम हौसलों से बने है
पंख फैला उड़ना है पर देखना उड़ान अपनी है
अपने कदमों को विश्वास से सजाए रखो
देर सही पर हर एक क्षण को बनाए रखो
योग्यता अपने कर्मो से जीवन में बनाए रखो
राधे रानी एक रूप स्त्री की
हृदय कोमल मन परिशुद्ध श्री राधे की
प्रेम रूप बन पूजी जाती देवी राधे की
भाव उत्तम निक्षल परिशुद्ध हृदय की
रोम रोम में तेरी जाप नाम की
पुकार रहा सपनो से सजा दुनिया आपकी-
We live in them
And they live in our heart
So We all are one, having different... read more
ईच्छा हो कुछ पाने की तो रास्ता मिल ही जाता है
बस उम्मीद और दृढ़ निश्चय होना चाहिए
फिर ढूंढने से तो भगवान भी मिल जाते है
विश्वास और सम्मान है तो मिलना भी तय है
जो भक्त है श्री राधे का उसका रास्ता भी तय है-
प्यारी सी जिसकी मुस्कान है
वो आदिशक्ति नारी है
जिसके प्रेम से चलती हर स्वांस है
वो नारी शक्ति प्रेम है
जिसे कोई परास्त नहीं कर सकता
वो नारी शक्ति दुर्गा है
जिसकी सेवा करने से सारे धाम पूर्ण हो जाए
वो प्यारी नारी शक्ति पराशक्ति है
जिसके सहयोग से मुझमें स्वास है
वो नारी शक्ति को मेरा हृदय से नमन है-
प्रतीक्षा वो पल है जो जीवन को
सुकर्म से सींचता है - सुयोग्य
जैसे एक शक्ति के रूप अनेक है
उसीप्रकार प्रेम के कई रूप है
कोई साथी प्रेम को साथ कहता है
तो कोई साथ रहने को प्रेम कहता है
स्वरूप कितने भी बदल जाए
प्रेम तो प्रेम ही कहलाएगा
मीरा हो या राधा, है तो प्रेम की देवी ही
कृष्ण कहो या गिरधर गोपाल है तो
एक ही प्रेम के अनेक रूप साकार-
राधे राधे बोल बन हृदय में उतर जाती हो
पल पल क्षण बन जीवन बन जाती हो
छोटे बड़े कदमों से ब्रह्माण्ड नाप लेती हो
परिशुद्ध भाव को अपनी पूजा समझ लेती हो
उचित अनुचित स्वभाव को स्वयं भेद कर लेती हो
मार्ग परिस्थिति जीवन की तुम निर्मित करती हो
रंग रूप और चेहरे पर रौनक तुम लाती हो
दुख दर्द पीड़ा को सुख में परिवर्तित कर देती हो
एक स्वर में प्रेम पाकर अपना कृपा बरसाती हो
धैर्य क्षमाशील करुणा प्रेम की देवी कहलाती हो-
मेरे दिल की वो बात हो आप
डूबते तिनके का सहारा हो आप
मेरी प्यारी दुलारी हो आप
मेरे दिल में समाए हो आप
किसी भी रूप में रहो आप
क्षण भर में महसूस होगी आप
मेरी अंतिम प्रतीक्षा भी आप
मेरी हर पल की खुशी भी आप
पल में चुभा पीड़ा भी आप
पीड़ा को सहने वाली भी आप
मेरा प्रेम भी आप जीवन भी आप-
इतना प्रेम कैसे श्री राधा
इतना सहना क्यू पड़ता है
आग से भरी दरिया को
पार क्यू करना पड़ता है
प्रेम इतना सुंदर क्यू है
क्यू इतना कठिन है
सबको कमी बहोत सारी है
ये मात्र जरिया क्यू बन जाता है
जीने का मात्र वजह बन जाता है-
कभी कभी मईया मन करता है
पूरी कायनाथ का गुनाह अपने सर ले लू
और सभी के दिल को प्रेम से भर दू
कभी कभी मईया हृदय कहता है
मैं सभी के हृदय पर राज करू
और प्रेम का एकसाथ अर्थ समझाऊ
कभी कभी मईया दिल करता है
जिस किसी के आखों में आंसू आए
उन सभी के आंसुओ को पी जाऊ
दिल ही तो है स्वभाव है प्रेम करना
और प्रेम की भाषा बोलना
ये नाही हमेशा सुखी रहना चाहता है और
नाही हमेशा दुख रहना ,सिर्फ चाहता है
औरो को आगे बढ़ाना, सफल बनाना
और उनकी खुशी में झूमना-
रक्षाबंधन कोई बंधन नही
स्वतंत्रता का भाव है
बिन डोर बंधा है जो वो
भाई बहन का रिश्ता है
ये प्रीत भी उसी दिव्य ज्योति
ज्ञान की तरह है जिसमे
न मां के प्रेम का अंत है
और न ही बहन के प्रेम डोर का
ये डोर है एक दूसरे के प्रति सम्मान का
जिसमे समर्पण है एक दूसरे के प्रति विश्वास का-