चलते सीना तानकर,भरी है अपनी जेब
एक जेब में टमाटर, और दूसरी में है सेब-
दिल के रंजिश सारे यूँ सरेआम हो गए
इतराते देखे गए सेब-अनार!! जैसे वो आम हो गए??-
हमेशा चाकू ही सेब को नहीं काटता
कभी कभी सेब भी कूद पड़ता है
चाकू पर कटने के लिए...
क्योंकि वो जानता है..
दोष चाकू को ही मिलेगा ।-
एक सेब था
जिसका एक टुकड़ा काट कर फेंक दिया गया
फेंका गया टुकड़ा सड़ने वाला है
और जितना बचा वो कीमती हो गया
अब जो कीमती है सेब
तो खाने भी नहीं देंगे
दूर से जितना मर्ज़ी देख लो
हाथ लगाने भी नहीं देंगे
अब फ़ैसला तुम्हें करना है कि क्या चाहते हो
थोड़े और टुकड़े की नाकामी लालसा
या जो तुम्हारे हिस्से में आया ,उसका स्वाद-
बाहर से बला सी खूबसूरत थी तुम
पर अंदर तुम्हारी खूबसूरती गायब थी।
सेब बाहर और अंदर से सुंदर है, काश तुम सेब से कुछ सीख लेती?-
दुनिया वाले झूठ बेचते है फरेब बेचते है
अनार का चलन है और हम सेब बेचते है।-
एक 2019 का अगस्त था, जब लोग....
कश्मीर में प्लाट लेने का सोच रहें थे !!
अब 2020 का अगस्त हैं, जब लोग....
1 किलो कश्मीरी सेब खरीदने से पहले सोंचते हैं।।
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तेजी से फिसलता समय और देखा- देखी की होड़ में शायद हम बहुत दूर निकल आए हैं, जैसे सेब के छिलकों को छोड़ कर सेब 🍎 खा रहे हैं, फल चाहे कोई भी हो उसके कपड़े उतारना अब हमें आ गया है क्योंकि की हम कहीं ज्यादा सभ्य होते जा रहे हैं,
अब कितनों का बचपन मिट्टी की खूशबू में जी रहा है शहरों में तो बिल्कुल ऐसा नहीं हो रहा है, मुझे याद है जब कभी खेलते समय चोट लगती थी, मिट्टी घाव भर दिया करती थी! मिट्टी के बर्तनों में वाह क्या लाजवाब कढी़ पकती थी सारे पौष्टिक तत्व थाली में आकर सेहत की दोस्ती की डोर मजबूत करते थे! पर अब ऐसा नहीं है मोबाइल की लत ने सारा सामाजिक ताने बाने पर गहरी चोट की है!
आज बच्चों को अपने पूर्वजों की जीवन शैली की बजाय मोबाइल के ऐप के बारे में ज्यादा नजदीकियां है! शायद अब यहीं जीवन शैली हमारे भाग्य में है!-
मेरा पैरहन कफ़न है, इसमें जेब ही नहीं है
जेब सब की कट गई है मुझे परवाह ही नहीं है
सब मय पी रहें है, मुझमें ऐब ही नहीं है
कफ़न में लिपट गया हूँ वो गैब ही नहीं है
न हिलना, न छूना, न छेड़ना कुटेव ही नहीं है
सारे झमेले की जड़ अदन का सेब ही नहीं है-