Ravi Kant  
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Writer
Joined 2 June 2020


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Joined 2 June 2020
3 HOURS AGO

लड़ता रहा उम्र भर कभी खुद से कभी दूसरों से
लड़ाई खुद से की की दूसरों से जीत जाऊ।

जीतता गया जीतता गया, हार के बहुत कुछ
जाना था दूर बहुत, बहुत दूर गया।

अब और लड़ने की हिम्मत नहीं है
कब तक लड़ूं जब हारना किस्मत में ही है।

लड़ता भी तब है आदमी जब कोई उम्मीद हो
अब तो बची कोई उम्मीद भी नहीं है।

किस लिए लड़ूं, किसके लिए लड़ूं
किस किस से लड़ूं और कब तक लड़ूं।

लड़ना ही अगर जिंदगी है तो ये कैसी जिंदगी है
इससे अच्छी तो मौत ही भली है।

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3 HOURS AGO

अब इश्क की तन्हा रातें मेरे घर से होके है गुजरती
वो तो अब भी मरती है अब बस मुझपे नहीं मरती।

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4 HOURS AGO

ले लो जो लेना है मुझसे
अब बस मैं ही बचा हूं
गर बचा सकते हो तो
बचा लो मुझे खुद से।

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4 HOURS AGO

न जीने की आस, न अब बचा कोई पास
न कुछ करने की चाह, न दिखती कोई राह
न कुछ पाने का जुनून, न कुछ खोने का गम
मरने की आस में बस यूंही रोज जीए जा रहे है हम।

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5 HOURS AGO

वो चार महीने से मेरे दिल से खेल रही है
और कहती है चार दिन से मेरे एग्जाम्स चल रहे है
और मेरा क्या जो चार साल से तेरे लिए
बिन धुआं मेरी जान जल रही है।

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6 HOURS AGO

गम में नम किए आंखे हम रोते रहे रात भर
देख कर दुख का अंबार सोचा करेंगे प्रभु बेड़ा पार
शैतान जो घर में छिपा था भेजा जिसको गया था
देखता रहा चुपचाप सब मेरी बर्बादी का तमाशा
जब देखा कि कोई मदद नहीं आई कही से
उठा खुद वो शैतान आया मेरी तरफ खुद की खुशी से
बोला गले लगा कर देख लूंगा मैं अब सबको
तू अब निश्चिंत रह, अब तू चिंता मत कर।

किया जिस जिस ने तुझे बर्बाद करूंगा खत्म चुन चुन कर
ऐसा तड़पाऊंगा रोएंगे मौत की भीख मांगेंगे
न तरस खाऊंगा खा जाऊंगा हर खुशी वही पर।
तू मत डर, तड़पा बहुत तू देखा मैने अब बस कर
अब और नहीं रोने दूंगा, दूंगा ऐसी जिंदगी
अब न उन्हें मिलेगा दिन में चैन न रात भर सोने दूंगा।

अब देख कैसे खेल खेलता हूं
जिसने तुझे पेला उसे कैसे पेलता हूं।
हैरान था मै ये सब देख कर
शैतान को ये सब कहते मेरे बगल में लेट कर।

गले लगाया उसने बाहों में उठाया उसने
बोला अब जा सो जा अब एक बूंद न बहाना
अब दुश्मनों की बर्बादी का जश्न मनाना
आयेगा वक्त अब तेरा, बर्बाद रातों के बाद सुनहरा सवेरा।

ये कह के शैतान गायब हुआ,
मैं सपने में था या हक़ीक़त में न समझ पाया।
देखा तो खुद को अकेला कमरे में रोता पाया
अगले ही पल खबर दुश्मनों की बर्बादी का मैने पाया
ये हकीकत था या सपना मैं कुछ भी न समझ पाया।

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8 HOURS AGO

ये हुस्न ये अदाएं मर्दों के जीने की उम्मीद है
जो ये भी न मिले तो फिर इंसान नाउम्मीद है।

इन्हीं के सहारे, इन्हीं के बहाने मर्द जिंदा है
ये भी अब नखरे वाले निकले तो मर्द क्यों जिंदा है।

ये दुख के पहाड़ मर्द झेलता है कि घर में प्यार मिले
जब वो भी न मिले तो लगे भूकंप से संसार हिले।

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22 HOURS AGO

अगर जहन्नुम कहीं है
हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त।

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YESTERDAY AT 3:55

Don't mourn for those who left; pray for those who didn't, for this is hell.

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YESTERDAY AT 3:16

Mera Desh Mahaan, 100 me 99 Devta Saman.

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