Kewal Singh  
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Joined 26 July 2018


Joined 26 July 2018
18 MAR AT 21:44

एक मोड़ पर मिला माइलस्टोन,
जैसे कह रहा हो मंजिल अभी दूर है l

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18 MAR AT 19:34

आसमां क्यों निहार रहा है रात को,
चांद क्यों भर रहा ईर्ष्या से देखकर रात को,
दिन निकल गया क्यों छुप गए सारे,
तरह-तरह की बातें सुनकर मौन हैं अनगिनत तारे l

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18 MAR AT 19:06

मत छोड़ मेरा हाथ मझधार में,
मत कीमत वसूलों मुझ से प्यार में ll
धोखे की चोट गहरी होगी,
बिखर जाऊंगा तेरे याद में ll

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18 MAR AT 18:45


बचाओ
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वो आवाज अबला की थीं,
बचाओ -बचाओ बंद दरवाज़े से
प्रतिध्वनि गूंज रही।
फुसफुसाहट बंद कमरों ने
जैसे सुनी नहीं कोई पुकार,
एक नहीं पूरे घंटे चार,
मध्यम - मध्यम जैसे रुक गई स्वांस,
कपड़े इज्जत तार - तार,
अबला रोए बार - बार,
क्यों मुझमें कोई बेटी नज़र नहीं आई,
क्यों मुझमें बहन नज़र नहीं आई,
तड़फ रही थी घंटे चार,
अब खुल गए दरवाजे तुम्हारे,
तमाशा देखने आ गए सारे।

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18 MAR AT 17:45

Your fragrance invite me to write a poem about you which is as follows
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Your fragrance
Like music of beautiful morning
Your colour is like beautiful hair of night
Your taste like cold wind in summer
Your Cup like universe full of stars and memories

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18 MAR AT 16:29

निजात पा जाऊं
घर जल्दी पहुंच जाऊं
चाय की चुस्की संग
शाम की लालिमा निहारूं
काम की व्यस्तता से निकलूं
बच्चों को फिर पार्क ले जाऊं,
रस्ते में खोमचे पर गोलगप्पे खाऊं,
पान की दुकान पर बैठे दो गंजे,
घूर रहे हैं मन करता दो चपत लगाऊं
शहर के शोरगुल से बचकर,
सोचूं जल्दी घर चल जाऊं।

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18 MAR AT 15:10

Your presence in my phone is very expensive So I request you for somedays make your home in my neighbors phone he has got huge amount of bonus
, 😁😁

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17 MAR AT 19:37

It would talk about beauty of night

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16 MAR AT 21:30

जब खुल जाते हैं दिल के द्वार,
संगीतमय हो जाती हैं फिजाएं,
नृत्य करती हैं हवाएं,
मन छूने लगता जैसे आसमां,

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16 MAR AT 18:57


कहानी लिखो
..............…..
कोई कहता है कहानी लिखो,
वे वक्त अश्कों का किस्सा लिखो,
रात गहरी है तिमिर में,
जुगनूओ का रिश्ता लिखो,
वृक्षों से किस कदर अलग हुए पत्ते,
उन हवाओं के कहर का मंजर लिखो,
रात भर सोया नहीं आसमां,
धरती के विरह की दास्तां लिखो,
वो ख़्वाब जो टूटा,
सिसकते चक्षुओं की हालात लिखो,
लेखनी ने करवट ली,
मिट गए उन शब्दों की बौखलाहट लिखो,
न आया वो मुसाफिर,
इंतजार में बैठी शाम की लालिमा लिखो,

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