सबके राम,अपने-अपने राम।
परन्तु क्या हम राम के हैं..??
अगर हम अपने माता-पिता
का सम्मान नहीं करते हैं,
हम अपने परिजनों से धन-संपत्ति
के लिए विवाद करते हैं,
अगर हम मनुष्य-मनुष्य मेंभेदभाव करते हैं,
हम स्त्रियों का मान-सम्मान नहीं करते हैं,
तो हम राम के नहीं हैं।
राम के मूल में दया,प्रेम,सेवा ,करुणा
और मानवता शामिल हैं।
हमें प्रभु श्री राम के आचरण को अपने
अंदर आत्मसात करना चाहिए।
तभी हम राम के हो सकते हैं।
सबको राम-राम 🙏🙏
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