QUOTES ON #सिलबट्टा

#सिलबट्टा quotes

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8 DEC 2020 AT 10:01

👰🏼तुम नए जमाने की मिक्सर ग्राइंडर, 🙋🏻‍♂️मैं पत्थर का सिलबट्टा हूं...🤭
😘तुम मेवे वाली बर्फी हो,🤤 मैं नीबू🍋जैसा खट्टा हूं...🥵

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12 MAR 2020 AT 18:53

याद आती है आज भी मुझको,
वो बचपन में मेरे माँ बनाती थी,
सिल बट्टे में चटनी...!
थोड़ी चटपटी सी माँ के डाँट जैसी,
थोड़ी मीठी सी माँ के प्यार जैसी,
थोड़ी सी खट्टी सी माँ के दुलार जैसी
थोड़ी सी तीखी सी माँ की घुड़की जैसी,
याद आती है आज भी मुझको,
वो बचपन मे मेरे माँ बनाती थी,
सिल बट्टे में चटनी...!
पर आज वो मिक्सी में पिसी चटनी को,
खा खा कर ऊब सा गया हूँ मैं,
सुनो ना माँ एक बार फिर से बना दो,
सिल बट्टे की पिसी हुई चटनी....!

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7 JUN 2019 AT 2:32

रात के सिलबट्टे पर
..
मैंने पीसा था
रातरानी के फूलों को
..
उन फूलों के रस की
स्याही भरी कलम में
..
फूलों के चूरे से मैंने
कागज़ पर कुछ उकेरा
..
हाल मेरे दिल का था
महक मेरे एहसासात की
..
रात के सिलबट्टे पर

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12 SEP 2020 AT 18:47

✍️✍️
संतरा खा के,
दिल खट्टा हुआ है
बड़ा मजबूत,
सिलबट्टा हुआ है
✍️✍️
विनय रखता है वो,
पत्थर का जिगर
जिगर उसका,
यूं ही अटका हुआ है

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28 JUL 2020 AT 11:29

सुनो! मुझे सीलबट्टे पर मसाला पीसने आता है और चटनी भी..
तुम खड़े मसाले और पुदीना लेकर आना..

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11 NOV 2018 AT 14:57

अगर हो मूमकिन तो मुझे पत्थर बना देना;

भगवान की मूरत नहीं,
किसी गरीब के घर का सिलबट्टा बना देना ।।

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14 MAY 2021 AT 22:49

वो सिलबट्टे बनाते हैं!

चिलचिलाती धूप में, कड़कड़ाती ठंड में,
सड़क के किनारे, पन्नी की छत सर पे डाले,
छेनी पे हथौड़ा चलाते जाते हैं..
वो सिलबट्टे बनाते हैं..।

नहीं गढ़ते वो ईश्वर की मूर्तियां,
ना बनाते हैं घोड़े हाथी साजो सामान,
पत्थरों को काटकर पेट भरना
ये तो है भी नहीं इतना आसान,
फिर भी दूसरी की ज़िंदगियों में स्वाद भरने
पसीने की एक एक बूंद बहाए जाते हैं...
वो सिलबट्टे बनाते हैं..।

सिलबट्टों की इन पाटों के बीच शायद
चटनी या मसालों सा पिसकर,
उनकी भी ज़िंदगी में ख़ुशबू आ जाए,
इन पत्थरों के साथ ही घिसकर,
इस ख़ुशबू के बस एक झोंके को तरसते
ज़िन्दगी को पत्थर बनाए जाते हैं..
वो सिलबट्टे बनाते हैं..।

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23 JUN 2021 AT 23:22

मन में
आत्मनिर्भरता का ढोंग पाले
सीख लिए हैं हमने
फुहड़ता के सारे ढंग
दिमाग़ पर लगी काई को
खुरच रहे हैं
नये आधुनिक औजारों से
न फूँकते मिट्टी का चूल्हा
न दलते चाकी से दलहन
न पीसते चटनी सिल पर
सिलबट्टे को दरकिनार कर
उठा लिए हैं कागज़-कलम
सिलबट्टा गायब है अब रसोई से
कितना बड़ा धब्बा हैं हम
भारतीय परम्परा की इस
सुसभ्यता पर!

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14 MAR 2022 AT 23:52

भटक रहा हूँ अरसे से कुछ न चढ़ा हैं हत्थे पर
पीस चुका हूँ हर खुशी अपने घर के सिलबट्टे पर

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27 JUN 2021 AT 23:18

पुरूषों को सिलबट्टे में पीसी चटनी, मसाले बेहद स्वादिष्ट लगते हैं।
पता है इन दो पाटों के बीच पीसती है स्त्रियों के दिन रात.. असंख्य इच्छाएं.. ज़रा सा 'मी टाइम'...

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