मेरी आंखों में उजाला सिर्फ़ उतना ही है,
जितना तुमने अपने हाथों से रोपा है ।।
//अनुशीर्षक में...//-
Govt of UP
मेरी लेखनी को अपना अमूल्य समय देने के लिए बहुत धन्यवाद!
आपकी विशुद्ध और यथार... read more
उसकी तलाश में निकलने के बजाए
मैं खुद के साथ ठहर जाती हूं
और ठहरते ही
मेरी तलाश पूरी हो जाती है।
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कभी कभी,
वो चीजें भी खो जाती है
जो कभी हमारे पास थीं ही नहीं।
कभी कभी,
वो लोग भी बिछड़ जाते हैं
जिनसे हम कभी मिले ही नहीं।
कभी कभी,
नदी में उतरकर भी
नदी पार नहीं होती।
जीती जागती साँसें लेती इस दुनिया में
कभी कभी,
हमें अपने हक़ की
एक साँस भी नसीब नहीं हो पाती...।।-
मन की दुनिया से निकल कर
भाग चुके रंगों के बाद
मन की दुनिया में बाकी क्या बचता है?
स्याह अंधेरा या कोरा उजास,
क्या किसी को पता है
कि खाली जगह में ठसाठस भरे हुए
सन्नाटे का क्या रंग होता है?
//अनुशीर्षक में...//-
जिस दिन तुम अपना सब कुछ
छोड़ देने को तैयार होगे
जिस दिन तुम हर उम्मीद को
चले जाते देख सकोगे
जिस दिन बस कोई ख़ास मंजिल ही
तुम्हारा मक़सद नहीं रह जाएगी
जिस दिन तुम झोंक दोगे
ख़ुद को रास्तों पर...
उस दिन तुम वो सब कुछ पा लोगे
जिसके तुम हकदार हो।।-
जिस दिन मृत्यु समझ आ जाती है
ठीक उसी दिन हम जीवन को भी समझ जाते हैं
//अनुशीर्षक में...//
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फ़ीका पड़ गया है
आंगन का मटमैला रंग..
तुम्हारी आंखों से झांकता,
धूसर भूरा रंग,
धुल सा गया है..
(...अनुशीर्षक में🪹🍂)-
एक गुमनाम यात्रा
मन के चीथड़ों को बीनने की
आदतों से हताहत
खुद में ही डूबकर
सब कुछ समेटकर
बिखराव को ढूंढने की
सांय सांय करती हवा को
पीछे छोड़ जाने की जिद में
भागते हुए परिंदों के पीछे
गहरे आकाश में
गिरते जाने की तरह
मानो सूरज से पहले
डूब जाने को आकुल
आकाश की परतों को पार कर
उस पार चले जाने की
अंधेरों की यात्रा
अंधेरों के भी सबसे अंधेरे कोने में
खुरदुरे कुरूप सच को
चिकने चमकते झूठ तक पहुंचा देने की
अदृश्य को देख लेने की
अनछुए को छू पाने की
पाकर मिटा देने की
एक अनाम यात्रा-
खाली बची हुई जगह का
खाली बचा रह जाना
बेहद ज़रूरी है...
(...अनुशीर्षक में)-
चौखट पर उगा फूल
बसंत के इंतजार में
समय के सुराख भरता
शीत की कठोरता को भेदकर उगा
एक सच आगे बढ़ता है
पीछे छोड़ता जाता है
खाली जगह
दूसरे सच के लिए
शीत का एक सच
एक बसंत का
फूल का सच
चौखट का सच
एक सच उगने का
सच को चौखट पार करने की जरूरत है।।
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