काश कोई आया ही न होता कभी कि
काश मेरी तलाश कभी खत्म न होती
काश ख्वाहिश अब भी होती कि किसी
खास के आने की उम्मीद खत्म न होती
-
कुछ अल्फाज़, कुछ नज्म, कुछ सवाल लिखती हूँ..
उस... read more
एक दर्द पाल लिया है जिसके सहारे मैं जी सकूं ..
खाली करूं क्या खुद को ताकि और दर्द पी सकूं ?-
पंक्तियां पढ़ती रहती हूं कि कहीं कुछ जवाब लिख सकूं..
शब्द भी नहीं मिलते हमें अब कि अपने ख्याल लिख सकूं..-
दिल लगाने वाले यूं गमगीन नहीं होते कि
क्या पता वो इश्क की तलाश में हो..-
?
नजरों का धोखा था क्या ?
जो महसूस करा वो वहम था ?
मेरा भरोसा झूठा था क्या ?-
बड़े मासूम बनते हो, कुछ याद नहीं क्या ?
जिद्दी हम है अगर तो तुम जालिम नहीं क्या ?-
गर ये गुनाह ही है तो उसके लिए हज़ार बार हो..
सिर्फ हमसे करे वो मोहब्बत, लेकिन, बेशुमार हो..-
मोहब्बत तो खुदा से ही है मुझको कि उसके बिना
क्या ही वजूद मेरा,
यार को खुदा कैसे कर दूं कि मोहब्बत हुई न उससे
मेरे खुदा की तरह।-
कोयले से हीरा बनने में सालों लगाए है कि
कैसे कर दे जाया खुद को उनके लिए ?
कोयला जल के राख हो जाता है कि देखा है
कभी राख से कोयला बनते हुए ?-