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बस एक मतलब के सार गिरता है
आदमी बार-बार गिरता है
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जो एक बार तह से गिरता है
वो फिर हजार बार गिरता है
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जो जाके हद के पार गिरता है
वो आखिर जार जार गिरता है
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वक्त पर जो फिसल जाता है विनय
वो फिर सीने के पार गिरता है-
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वो भी एक वक्त हुआ करता था
मिज़ाज सख्त हुआ करता था
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जब जिम्मेदारियां बहोत कम थीं
काम परफेक्ट हुआ करता था
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जहां तक हाथ फिसलता जाता
वहां तक टेक्ट हुआ करता था-
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आओ महफिल में फिर रातें करेंगे
चांद तारों से मुलाकातें करेंगे
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जुगनुओ से कहो खामोश रहें
हम चरागों से कुछ बातें करेंगे
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वो एक काली सी घटा उठ रही है
सुनो तुमको जो जुल्फ दिख रही है
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मैं एक जज्बात का प्यासा हूं “विनय”
न जाने कब वो बरसाते करेंगे-
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उम्र भर का इलाज हो जाए
अगर पढ़ना रिवाज हो जाए
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कल का कोई भरोसा ही नहीं
जो भी होना है आज हो जाए-
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कोई बे ठंग का भी ठंग बनेगा
कोई ठंगदार भी बेठंग बनेगा
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पुराने पेड़ का अंजाम तय है
कटेगा तो नया उपवन बनेगा
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आप जब भी नई बातें करेंगे
खास कोई नया दुश्मन बनेगा
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यहां संघर्ष ही जीवन है विनय
करो संघर्ष तुम जीवन बनेगा-
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जमीर बेच देना जमींदार हो जाना
मुफलिसी क्या है उसूलों का यार हो जाना-
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जिंदगी श्मशान होनी चाहिए
कोशिशें नाकाम होनी चाहिए
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इल्म के दरवाजे ताला लगा दो
रिआया परेशान होनी चाहिए-
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इश्क आंखों में उतर आए
तो उजाला हो।
जुल्फ से आये गर सावन
तो फिर निराला हो।-