Vinay Tyagi   (विनय_आजाद✍️)
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It's original @विनय_आजाद की कलम से ✍️ writervinayazad ✍️
Joined 23 May 2019


It's original @विनय_आजाद की कलम से ✍️ writervinayazad ✍️
Joined 23 May 2019
25 APR AT 13:35

✍️✍️
मूरख का दिन यूं कटे जैसे मौज बहार
ज्ञानी दिन भर सोच में कैसे बढ़े व्यापार
✍️✍️
तुच्छ सियासत को मिले माल पुआ अधिकार
मेहनत दिन भर फांकती धूलों का अम्बार
✍️✍️
कलयुग में झूठा बढ़े सत्य कराए रार
बंसी वाले है तेरी लीला अपरंपार

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20 APR AT 19:46

✍️✍️
मरने वाले से इल्तजा है मेरी

एक जरा वोट डालते जइयो

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20 APR AT 19:00

✍️✍️
ये बुरे दिनों की बातें हैं
हम हंस-हंसकर लड़ लेते थे
✍️✍️
आपस में रोज झगड़ते थे
और लड़कर फिर हंस लेते थे
✍️✍️
यूं तो घर में चीजें कम थीं
पर खुशियों का अंबार बहोत
✍️✍️
जब रूंठ के कोने में रोते
खुशियों से घर भर लेते थे
✍️✍️
ये बुरे दिनों की बातें हैं
हंस-हंसकर हम लड़ लेते थे

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20 APR AT 18:51

✍️✍️
ऐसी आपस में कोई बात नहीं
वैसी आपस में कोई बात नहीं
✍️✍️
ये सजा बहोत है दोनों के लिए
दोनों एक दूसरे के साथ नहीं

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20 APR AT 18:47

✍️✍️
राजनीति एक ऐसा जहर है जिसके असर से

अकल और आंखें दोनों एक साथ बंद होती हैं

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20 APR AT 18:43

🍾🍾
रईसी की निशानी हो गई है
शराब खानदानी हो गई है
🥂
जमी महफिल पेग से पेग मिले
और दुनिया दीवानी हो गई है

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20 APR AT 18:31

✍️✍️
मेरी पहचान गलत थी खुद दगा खा गया हूं

तेरा क्या दोष तेरी फितरत ही दगाबाजी है

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20 APR AT 18:28

✍️✍️
वो जब चला तो पीछे खाइयां बनता गया

कोई मुझे ना हो सकेगा मुस्कुराता गया

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20 APR AT 18:25

✍️✍️
कोई बहला के मार‌ डालेगा
....
यही जंगल‌ है जिसे शहर शहर कहते हो
✍️✍️
सियासत तुमको शहद लगती है
.....
और मोहब्बत को विनय जहर जहर कहते हो

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14 APR AT 20:03

✍️✍️
सारे साज ओ सामान बंद करें
चलो ये घमासान बंद करें
✍️✍️
ये दुनिया झूठ से जिंदा है विनय
आओ सच की दुकान बंद करें

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