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भीड़ का हिस्सा ना बन नई राह तलाश कर
हो चुके जो हो चुके नित्य नए प्रयास कर-
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आप इंतिखाब की फिकर कीजे
चोट का क्या है आनी जानी है
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उम्र कपड़े बदल रही है विनय
मौत का क्या है आनी जानी है-
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तमाशा फिर वही पुराना है
झूठ को फिर से आजमाना है
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जरा सा वक्त चोरी हो गया है
वो कुछ गैरों का आना जाना है
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हमारे गांव घर में जिंदगी है
वहां दालान एक पुराना है
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पुराने लोग बिगड़े फिर रहे हैं
नई चौखट पे आना जाना है
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सियासत खून की प्यासी है विनय
इसका दिल दर्द का खजाना है-
✍️तजुर्बा✍️
क्या जरूरी है हर वादा निभाया जाए
हम भी रोये हैं चलो सबको रुलाया जाए
आम के पेड़ पर जो चढ़ा तो टांगें टूटी
अब इस कमबख्त पर ना और चढ़ाया जाए
सुनो ये दूर तक सुनसान नजर आता है
रास्ता ये राहे शमशान नजर आता है
तजुर्बा से मेरे तु भी कुछ नसीहत ले-ले
चले जिस ओर सब उस ओर ही जाया जाए
तजुर्बा मूर्खता की एक निशानी है “विनय”
खुद गिरे फिसलकर तो सबको गिराया जाए-
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रोज सपने बदल के चलते हैं
रोज अपने बदल के चलते हैं
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हम एक जैसे यूं नहीं लगते
रोज कपड़े बदल के चलते हैं
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खरीद रखे हैं दो-चार दिल
रोज हम दिल बदल के चलते हैं
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रोज बदलाव जरूरी है विनय
रोज हम कुछ बदल के चलते हैं-
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ज्ञान को जब अहंकार हो जाता है तब वह सबसे पहले आस्था को तमाचा मारता है-