भूख से बड़ा 'बे-अदब' कोई नहीं
भूखे से बड़ी 'बे-अदबी' कोई कर नहीं सकता।।
सोमा-
सांत्वना संदेश भी कितना हास्यास्पद होता है।
प्रियजन की मृत्यु के बाद परिजनों को
क्या कोई सांत्वना 'शांति' दे सकता है??-
बस एक वाक्य और उसमें कहा एक शब्द... तुम बहुत 'समझदार' हो।
बहुत वजनी होता है। इसे सारी जिंदगी ढोना पड़ता है।
क्योंकि दुनिया के सारे नियम कायदे समझदार इंसान के लिए होते हैं।
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लोग कहते हैं किसी के चले जाने से 'जिंदगी तो नहीं रूकती'।
'लेकिन थम जरूर जाती है' ये कहना भूल जाते हैं।।-
बनावटी मुस्कान के सहारे जीना आ गया।
हमें भी कहां अपनी अदाकारी का हुनर पता था।-
खुद ही अवसाद में डूबना, फिर अपना हाथ खींच कर उस अवस्था से उबरना।
पिता विहिन संतान की यही नियति है।-
मौतें हिंदू, मुस्लिम, दलित हो जाती है
जान की कीमत कोई नहीं होती है।
राजनीति बड़ी ज़ालिम है
मौका देखकर चुनावी पर्यटन पर निकलती है।
जो विचारधारा मुझसे न मिलती हो तो 'थू'
मेरे मनमुताबिक हो तो वहीं 'थूक' निगल ली जाती है।
सोमा
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The appetite of sea always constrained When its demand completed then the sound of thunder increases.
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जब भी पुरुषों ने
युद्ध किए,
साम्राज्य जीते,
दांव लगाए
अहम में हारे
चोट खाई
या
प्रेम किया
पहला आक्रमण किया स्त्रीत्व पर
पहला सौदा तय किया स्त्री का
पहली बोली लगाई स्त्री की
पहला बदला लिया स्त्री से
पहला दर्द मिला स्त्री को
पहला धोखा खाया स्त्री ने
क्योंकि स्त्री उनके लिए
मान थी,
सम्मान थी,
घर की इज्ज़त थी,
परिवार का गुरूर थी,
चौखट की लाज थी,
क्योंकि स्त्री हमेशा
पुरुष की सम्पत्ति बनी रही
बस इंसान नहीं बन पायी।।
सोमा
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