वह चले झोंके कि काँपे, भीम कायावान भूधर,
जड़ समेत उखड़-पुखड़कर, गिर पड़े, टूटे विटप वर,
हाय, तिनकों से विनिर्मित, घोंसलों पर क्या न बीती,
डगमगाए जबकि कंकड़, ईंट, पत्थर के महल-घर;
नाश के दु:ख से कभी, दबता नहीं निर्माण का सुख
प्रलय की निस्तब्धता से, सृष्टि का नव गान फिर-फिर!
नीड़ का निर्माण फिर-फिर, नेह का आह्वान फिर-फिर!-
सडक दुर्घटना ....
ऐ मानव कर दे सहायता कल तेरा भी आयेगा
शायद कभी लाचारी में तू भी आंसू बहायेगा
हैं तेरे भीतर एक सद्गुण उसे न तू खोने दे
होकर परेशान न आज इसे तू रोने दे
(in caption....)
Ranju Thakur'रूचि'
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अच्छे विचारों और अच्छे कर्मों के लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती
आप बस मुस्कुराते हुए शुरूआत कीजिए सारी कायनात आपके साथ जुट जाएगी!
❣️❣️❣️-
अगर हम स्वयं के लिए जी रहे हैं
तो जीवन व्यर्थ है जीवन की सार्थकता है
उनके लिए जीने में जो हमें निस्वार्थ भाव से अपना प्रेम दे रहे हैं...❣️
जीना होगा हमें:-
वृक्षों की रक्षा के लिए
स्वच्छ प्राण वायु के लिए
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए
नदियों की निर्मल धाराओं के लिए
प्रकृति के सौंदर्य को बनाए रखने के लिए
बेजुबान जीव- जंतुओं के अस्तित्व के लिए
असहाय लोगों की सहायता और प्रसन्नता के लिए...😊
प्रियतम
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पत्थरों! मदद करो, कुछ आम तोड़ने हैं
कि बच्चों की खुशियाँ पेड़ों पे लटकी हैं
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दिल से आप कभी सभी के लिए प्रार्थना कीजिये
अकेले है जो कोरोना से उनके लिए दुआ कीजिये ।
बहुत मुश्किल घड़ी है ये आप समझा कीजिये
जितना हो सके आपसे आप उनकी मदद कीजिये ।-
मद+द=मद को देने वाला...
ऐसा कर्म जो मद(गर्व,खुशी,आनंद,सुकून)को प्रदान करे अर्थात् मदद करने से आनंद प्राप्ति होती है।
सह+आयत+आ(स्त्रीवाची प्रत्यय)=साथ आना...
जो लक्ष्य की प्राप्ति के संघर्ष में साथ आ जाए...
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मैं सकुचाता हूँ किसी से सहायता माँगने में
क्योंकि मैं कर नहीं पाता सहायता किसी की।
मगर मैंने प्रेम माँगने में कभी संकोच नहीं किया।-
दूसरो की सहायता करना बहुत
अच्छी बात है लेकिन कोई आप के
मदद से कुछ गलत कर रहा है और
आपको पता है कि आप की
सहायता से वो गलत काम
करेगा तो वैसे लोगों
की सहायता नहीं
करनी चाहिए।।-