आती - जाती रहती हैं आवाज़ें हर वक़्त,
और वर्चस्व सन्नाटे का ख़त्म नहीं होता।-
पूरी ग़ज़ल कैप्शन मे पढ़ें..
रात की शाख़ पे उग आया है सन्नाटा,
ख़ौफ़ के मंज़र बाट रहा है सन्नाटा..!!-
ये सन्नाटा महसूस कर रहे हो,
कितना घना है ना,
खुद के मन की आवाज भी
अब सुनाई कहाँ दे रही।
सब चल रहा है,
दुनिया दौड़ रही है,
सब सिनेमानुमा,
अपने लय में चल रहा,
बस ये आवाजें,
ये आवाजे कहीं नही।
वो देखो वो लडक़ी,
चीखती सी लग रही,
वो देखो वो शक़्स,
पुकारता सा लग रहा,
तुम देख रहे हो,
अपनी आँखों से,
पर आवाजें,
वो क्यों नही महसूस होती,
कानों को तुम्हारे।
डर लग रहा न अब,
ये सब मंजर देख कर,
बिना आवाजो के,
ये कुछ और नहीं है,
ये मौन है,सन्नाटा है,
तुम्हारे अपने मन का,
जो दिन पर दिन ,-
गरीबों को बहुत रुला रहा है
घर जाने को व्याकुल लाठी खा रहा है-
बहुत चुभता है
शोर मचाने वाली अब चुप हो गई है
तेरी कोई मजबूरी है मुझसे दूर रहने की तो रह लीजिए
मेरा इश्क इतना भी जरूरी नहीं
तेरी बातों के शोर से मेरे दिल को सुकून मिलता था
आज तेरी खामोशी से मेरा दम घुट रहा है
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छाया सन्नाटा ब्रह्मांड में
जब बोलने वाला मौन हुआ
थम गई मेरी सारी दुनियां
अंबर भी गतिहीन हुआ-
सीने में आग-सी लगी है, पूरा शहर सन्नाटा है ..
बद से बद्तर हालात में, ठहरा वक़्त का कांटा है।-
पसरा है पूरे शहर में,
काश लॉकडाउन में,
हम भी फंस जाते तेरे घर में...!-
इस शहर में सन्नाटा देख सुकून बहुत है 😍
लगता है मेरे अंदर कुछ करने का जुनून बहुत है!
Ishq-e-upsc 😍-