QUOTES ON #संशय

#संशय quotes

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क्यों ढूंढते हो तुम मेरे "विशेषण" ,
मेरा " संज्ञा " होना क्या मुझे "पूर्ण "नहीं बनाता ?

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19 MAY 2019 AT 16:37

एक अकेली नाव भंवर में
पथ ढूंढे जीवन का प्रहरी
घड़ी पहर का सन्नाटा है
घड़ी पहर की सांझ दुपहरी

सुख की भोर कभी तो होगी
संशय से मुख मोड़े रहना
तिनके सा विश्वास अटल है
तिल तिल कर बस जोड़े रहना।

प्रीति






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13 APR 2024 AT 18:43

सोचना क्या विचारों को लय करने में
अंदर के संगीत को आज्ञा दो निर्णय करने में

डरता भी रहेगा और अपराध भी करता रहेगा
अभ्यास करेगा तभी होगा जीवन को अभय करने में

समय के पन्नों पर दुबारा वही मत लिख
रक्त को बहने दो स्मृतियों को हृदय करने में

छूने का अवसर मिल जाए तो अवसर मत गंवाना
पुण्य आत्माओं और शक्तियों की जय करने में

जानकर भी अनजान बनते यह किरदार
अक्सर देर हो जाती पास की दूरियों को तय करने में

सबने मना किया मगर किसी की नहीं सुनी
रिश्तों की बलि चढ़ाता रहा संशय करने में

'विवेक सुखीजा'

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10 MAY 2017 AT 22:49

हमें अपने आशय के संशय में छोड़कर
अल्फाज तो निकल लिए जनाब ।।

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11 APR 2021 AT 10:32

दोन प्रेमींना वेगळं करण्याची ताकद
संशयात असते.

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17 JUL 2021 AT 8:11

विश्वासाची तिथे एकही खोली नव्हती
तसा तो कोसळणारच होता.
संशयाचे वारे निमित्त मात्र ठरले...
ते दोघे ज्यास संसार समजत होते,
तो केवळ पत्त्यांचा बंगला होता.

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9 MAY 2020 AT 15:23

मनातला #संशय हा अर्धा भरलेल्या ग्लास सारखा असतो...
डोळ्यांना #नेहमी भरेल पेक्षा अर्धा रिकामाच अगोदर दिसतो...

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"संशयात्मा विनश्यति"
अर्थात् संशय से युक्त व्यक्ति अवश्य नष्ट हो जाता है।
कृष्ण ने कहा है-तीन अधर्मी हैं
१)अज्ञानी
२)अश्रद्धालु
३)संशयात्मा
किन्तु संशयात्मा अधिक पापी माना गया है।

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20 APR 2020 AT 23:26

प्रेम और मैं?

यह संभव है कि मैं तुमसे प्रेम करती हूं। और यह भी संभव है कि तुम्हारे सवाल पूछने पर कि क्या मैं तुमसे प्रेम करती हूं, मैं हंसकर "प्रेम और मैं" कहकर तुम्हारे सवाल को टाल दूंगी। मेरे हृदय में तुम्हारे प्रति भावनाओं के विशाल सागर हिलोरें लेते हैं। परंतु सत्य तो यह है कि मुझे संशय है कि क्या मेरे मन में जो भावनाएं हैं वो प्रेम की परिभाषा के अनुरूप हैं भी या नहीं। मुझे भय है कि अगर तुम मेरा प्रणय निवेदन स्वीकार कर लोगे तो तुम्हें मेरी वास्तविकता का पता चल जाएगा। तुम्हें पता चल जाएगा कि मैं तुम्हारे या किसी के भी प्रेम के लायक नहीं हूं। और तब तुम भी औरों की तरह मेरे हृदय के एक भाग को लेकर चले जाओगे और मुझ में एक और शून्य छोड़ जाओगे। अपने इस डर को सच होते देखने से बेहतर मुझे "प्रेम और मैं" कहकर सवाल टालना उचित लगता है। हालांकि, मैं सदैव जीवित रखूंगी अपने प्रेम को अपनी कविताओं और कहानियों में। और यह तुम्हारे लिए नहीं, परन्तु स्वयं के लिए।

— आशना

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10 FEB 2017 AT 20:40

मैंने पुकारा था तुम्हारा नाम वादी में एक दिन.... तुम तक मेरी आवाज़ पहुँच जाये तो इत्तिला करना.... डर है कहीं गुम न हो जाए कनहरी की पहाड़ियों या सिल्वार के घने जंगलों में मेरी आवाज़ यूँ ही ...

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