"आज उतना देर तक मत जागना, सो जाना। कल सुबह सात बजे स्कूल के लिए निकलना है।"
"हां नानी माँ, आप चिंता काहे कर रही हैं, हम सो जायेंगे।"
हर रात मेरी नानी मुझे एक ही बात बोलती हैं, "जल्दी सो जाना।" और मेरे भी मुंह से अनायास "ठीक है" निकल जाता है। हम दोनों ही जानते हैं की यह "ठीक है" महज एक औपचारिकता है। मैं उन्हें परेशान नहीं करना चाहती। काश निंदिया रानी मेरी बात सुनती तो मैं रोज़ समय पर सो जाती। वो मुझे कभी डांटती नहीं। मुझसे कोई सवाल भी नहीं करती। खाना खा लो, सो जाओ, एक हफ़्ता हो गया है नहा लो, क्या खाओगी, थोड़ा बाहर भी टहल के आ जाओ, इसके अलावा हमारी कोई बातचीत नहीं होती। हालांकि मम्मी का फोन आता है तो वो उनसे घंटे भर से कम बात नहीं करती। उसमें शायद १० मिनट मेरी रिपोर्ट देती होंगी। मुझे पता है कोई शिकायत नहीं की होगी उन्होंने कभी।
आज रात भी नींद मेरी आंखों से हर बार की तरह ओझल है। आज पता नहीं क्यों कुछ यादें दिल को ज्यादा कुरेद रहीं हैं। शायद अब लाइट ऑफ करके सीलिंग को ताकने का वक्त आ गया है। आपसे वायदा करती हूं कि मैं सोने की कोशिश ज़रूर करूंगी। हालांकि आप भी जानते हैं और मैं भी, कि हम दोनों ही नहीं सोने वाले।
शुभ रात्रि। :)
— आशना
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