तुम विवेक से आगे बढ़ना
मात पिता के गौरव बनना
भारत माता के मुकुट मणि बनना
शत्रु विध्वंस का कारण बनना
तुम श्रेष्ठ जितेन्द्रिय बनना
साधु हृदय के प्रिय तुम बनना
उचित लक्ष्य पर आगे बढ़ ना
मानवता के दृष्टांत तुम बनना
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खल का दण्ड प्रचण्ड नारी
हृदय का पुष्प भी नारी
स्नेह का प्रकाश नारी
धरा का विश्वास नारी
निष्ठा की प्रतिमा नारी
वेग कोलाहल चंचल नारी
दिव्य प्रिया उत्सव नारी
उन्मुक्ता छवि सौम्या नारी
देव भी नतमस्तक तुझ पर
शील गुणी सुन नारी
दिव्य गुणों से दिव्यानी
तू जननी महारानी नारी
विधि की आदि सृष्टि
ब्रह्मा की कीर्ति नारी
महिषासुर मर्दिनी नारी
करूणा की परिभाषा नारी।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते
रमन्ते तत्र देवता🖋️
खुशबू,(सुगन्धावली)
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माता पिता की प्रसन्नता में ही संतान की प्रसन्नता है।
सन्तान की प्रसन्नता में माता पिता की प्रसन्नता है।
युवा पीढ़ी जहां अकांक्षाओं के स्वप्नलोक में
विचरन करते वहीं संस्कारों से कोसों दूर दिखाई
देते हैं कारण माता पिता का उचित सम्मान न करना
गुरूजन का अनादर ....🖋️
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मजहब वैर नहीं विविधता है
हम सब एक हैं यही दिखता है ।
हो गीता या कुरान की बातें
हर मजहब मे प्रेम सम्मान की बातें
हिन्दु मूआ राम कही मुस्लिम कहे खुदाई
कहे कबीर सौ जीविता जो दोऊ के निकट न जाई।
कबीर वाणी
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कृष्ण ज्ञान है, कृष्ण कर्म है,
कृष्ण सन्यास है कृष्ण योग है।
कृष्ण मन है,कृष्ण साम है,
कृष्ण अकार है,कृष्ण द्वन्द्व है।
कृष्ण जय है कृष्ण प्रताप है,
कृष्ण सार है कृष्ण क्षमा है।
कृष्ण मृत्यु है,कृष्ण उत्पत्ति है,
कृष्ण बुद्धि है कृष्ण धृति है।
कृष्ण कवि है कृष्ण दण्ड है,
कृष्ण नीति है कृष्ण ज्ञान है।
खुशबू,(सुगन्धावली)
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है अवरोध अभी सन्ध्या है
पुनः स्वर्णिम स्वेरा है
साहस के दर्पण में
पुरूषार्थ का बसेरा है।
है कठोर पथ जीवन का
दृढःनिश्चय ने मृदुल
पराग बिखेरा है।
है अवरोध............
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तुम्हारे विचार हैं प्यारे
तुमसे ही तो है यह संसार प्यारे
पग पग पर न तू घबराया कर
तू प्यारा और तेरा ही संसार प्यारे।-