मैं उपन्यास पढ़ने वाली लड़की,
ना जाने वास्तविक दुनिया का प्रेम कैसे अपनाउंगी.-
||◆●◇ श्रीं शिवाय नमस्तुभ्यं ◇●◆||
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कभी फुर्सत में लिखूँगी वो तमाम खूबसूरत पल ,
जो मैंने सोचे जरूर मगर! उन्हें जिया नहीं 🕊-
ये दोस्ती, ये चाहते, ये रिश्ते, ये लोग.....
कभी-कभी मुझे ये सब अजीब लगता है
जी करता है सब को छोड़ दूँ 🥀-
तुम्हारे प्रेम में..
मैं इतना वादा जरूर कर सकती हूँ कि,
जब भी इस दौड़ती-भागती जिंदगी से
थककर हताश होकर तुम बैठ जाओगे कहीं
तो मैं भी ठहर जाऊँगी ...
तुम्हारा हाथ थामकर वही
ठीक तुम्हारे साथ ही..
और तब तक
तुम्हारे साथ बनी रहूंगी ,
जब तक tum खुद ना कह दो बहुत हुआ चलो चलते है....✨️
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पहली मुलाकात के बारे मे क्या ही लिखूं...
बस इतना पता है ,
धड़कन तेज थी, लफ्ज़ खामोश थे,
होश बहके बहके थे, आंखों में बस तुम थे
और क्या ही कहूँ कुछ याद ही नहीं...
उस पल में सिर्फ तुम्हारा चेहरा याद रह गया 🌻-
मैंने प्रेम की कई व्याख्यायें पढ़ी ,
और जाना सिर्फ इतना ......
कि मैं तुम्हें बिना बताए बिना जताए भी
"तुमसे" बेहद प्रेम कर सकती हूं 🥀-
तुम्हारा मिलना ,
अनिश्चित था ........
परंतु तुम्हारा बिछड़ना,
निश्चित था.....
फिर भी मैंने तुम्हें प्रेम किया
निःसंदेह , निस्वार्थ किया !!-
सुनो प्रिय ...
तुम्हें सुनना तुम्हारी बाते करना मेरा पसंदीदा विषय है सबकुछ बिसरा देती हूं जब भी तुम्हारे साथ होती हूं और जब हृदय से लगा लेते हो...
वो अद्भुत अनुभूति जैसे मेरे दिन भर की थकान हर लेते है और तुम्हारा हसना ..
अपनी मन की बातें साझा करना
मेरा ख्याल ( बच्चों जैसे ) रखना
मेरे दिन का हाल पूछना
तुम्हारे प्रति मेरे प्रेम को क्षण क्षण बढ़ाता है
अधिक से और अधिक
अथाह असीम अपरिभाषित प्रेम ♡-
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मैं इश्क लिखू तुम्हें हो जाए ,
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फिर बस इतना सरल होता प्रेम पाना ,
तो बच जाते वे सभी प्रेमी जिन्होंने एकतरफ़ा
प्रेम में जीवन ही लगा दिया 🕊🥀
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