वो मकान, घर नही , श्मशान बन जाता है,
जहाँ एक माँ का रोना आम बन जाता है।-
जो संसार से दुत्कार दिए जाते हैं,
वो श्मशान में सम्मान पाते हैं.!!
जय महाकाल 🙏
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फसलों के ह्रास को, जेठमासे की प्यास को,
अमिया की खटास को, गन्ने की मिठास को,
खाली हाथ फ़क़ीर को, लकीर के फकीर को,
ख़्वाबों की तासीर को, हकीकत की नज़ीर को
खामोशी की आवाज को, लफ्ज़ों की साज को,
जज्बातों के ज्वार को, मोहब्बत के इक़रार को
प्रेमिका की करार को, प्रेमी के बेक़रार को,
रूह के फरमान को, दिल के उठे अरमान को,
प्रेम के एहसास को, ख़त किसी ख़ास को,
स्त्री के श्रृंगार को, दंपत्ति की तकरार को,
मंद मंद समीर को, उठ चुके ख़मीर को,
स्पंदनहीन शरीर को, मर चुके ज़मीर को,
अँखियो के नीर को, उजड़ चुके कुटीर को
सावन की बहार को, बरसात की फुहार को
नवजात की झंकार को, श्मशान की अंगार को,
सुहागिन की मल्हार को, विधवा की पुकार को,
यौवना के अंग आकार को, झुरियों के साकार को
वासना की उभार को, विरक्ति के इस संसार को,
चाहता हूँ मैं लिखना....पर शब्द नहीं हैं! _राज सोनी-
मेरा मन, मेरे ख़्याल का कोई ख़्याल नहीं करता,
मैं क्यूँ मौत चाहती हूँ, वो कोई सवाल नहीं करता,
और मैं जो ये टूट कर भी जी रही हूँ हँसकर
ये दुनियां का दस्तूर है, मेरा दिल कोई कमाल नहीं करता.!!-
कुछ दरिया खुद को समंदर समझ बैठे...
इस गुरुर में,
अपने आशियाने को श्मशान कर बैठे...-
दुःखी मत होओ
मणिकर्णिका,
दुःख तुम्हें शोभा नहीं देता।
ऐसे भी श्मशान हैं
जहाँ एक भी शव नहीं आता
आता भी है,
तो गंगा में
नहलाया नहीं जाता— % &-
बदन ख़ाक करती हो रोज वो भी मीठी पुकार में
ऐ-श्मशान
जो तेरा गाहक हुआ वो कहीं और ना गया-
तुम नाराज हो न होने दो मेरा जहान नही हो,
तुम्हारे लिये अब सांसे छोड़ू अब वो श्मशान नही हो।-
उसने मिरे बाद, उसे भी जला दिया,
खफ़ा है दोस्त, चलो मिल आते है श्मशान में।-