मैं क्यों बताऊं क्या बात है
मेरा महबूब तो हर बात में लाजवाब है-
हमारे पास.....
जो नहीं है वह ख्वाब है,
पर जो है वह लाजवाब है।
" हिमांशु बंजारे "-
हमें खबर है..
तलब तुम्हें भी लगता है हमारी तरह
नशा मोहब्बत का..
तुमने भी उससे लाजवाब किया है..!!
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औरों से सवाल करोगे तो
सवाल और ज्यादा बढ़ेंगे !!
कभी फुर्सत में खुद से सवाल करना
यकिं मानो जवाब लाजवाब ही मिलेंगे !!-
तुम न एकदम से कमाल हो लाज़वाब हो बवाल हो तुम्हारी क्या तारीफ करूँ ए जान मेरी तुम एकदम से बेमिसाल हो
कल तलक भटकता था गलियों में जैसे हो बंजारा आज साथ हो तुम तो ऊंचाई से गिरने का डर भी नही लगता हैं जैसे नीचे बिछी हुई तुम्हारे परवाह की जाल हो-
#डायरी की शायरी
मासूम निगाहों को मुस्कुराते देखा है
मैंने अपनी मोहब्बत को तुम्हे दिल में छुपाते देखा है,
बादलों में जो छिप जाता है वो चाँद
मैंने रोज़ उसे तुम्हारे दुपट्टे को सजाते देखा है,
कुछ इस तरह तुम्हे खुदको आज़माते देखा है,
मेरी मौजूदगी में तुम्हे पलके झुकाते देखा है,
क्या बयान करें तेरी मासूमियत को शायरी में हम
तेरी ये मासूमियत, ये सादगी लाजवाब हैं...
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सफ़ेद कपड़े में तुम,चाँद की नूर लगती हो,
ऊपर से ये खुले बाल,माथे पे बिंदी,
कसम से,ज़न्नत की हूर लगती हो।-
वो हमारी गली में बेअख्तियार आते हैं.
बड़ी अदा से आते हैं, बड़े अंदाज दिखाते हैं
बेहिसाब मुस्कुराते हैं मगर लफ़्ज खामोश रह जाते हैं
उनकी इस अदा पर हम भी हर बार लाजवाब हुए जाते हैं..-
जिससे भी हिसाब किये
हमने लाज़वाब किये
लाये थे ख़ुदा से माँग कर दो दिन की जवानी
दोनों ही दिन, 'एक ही' यार पर बर्बाद किये
- साकेत गर्ग-