कभी पकड़ में नहीं आती हैं ,🤗
पल भर में ही छू हो जाती हैं ,
फ़िर महज यादें रह जाती हैं..!!!😊-
एक गुल्लक बनाया है मैंने भी
रोज़ थोड़े-थोड़े लम्हे डालूंगा
कुछ बच्चों की बात के,
थोड़े पत्नी के साथ के,
थोड़े बड़ों की डांट के
दोस्तों से मुलाक़ात के,
फुरसत मिलेगी जब कुछ सालों बाद
और कमी होगी लम्हों की, तब
तोड़ दूंगा उसे और जी लूँगा उन लम्हो को
फिर से एक बार !
-
लिखते हुए हम अपने
उन लम्हों को भी जी लेते हैं
जिन्हें जीते जी हम कभी जी नहीं पाए!-
वो कभी हुआ करते थे हमारे पर अब नहीं
कितने सुकूँ भरे थे वो लम्हे पर अब नहीं
तेरी तारीफों के शे'र से बनाते हम अपनी ग़ज़ल
ख़याल आता था अक्सर ख़यालो मे पर अब नहीं
छोड़ तो सकते थे हम तुम्हारी यादों का शहर
बना लेते अपना एक अलग शहर पर अब नहीं
अब उसने किसी और को करलिया तस्लीम
खुद से नाराज़ रहा और ख़फ़ा भी पर अब नहीं-
यें लम्हें कुछ इस तरह से गुजर जाए
मुझे आहट भी ना हो और वो मेरे सामने आ जाए ।।
-
कुछ लम्हें खूबसूरत सपनों से होते हैं
जिनकी सिर्फ यादें रहती हैं,
और कुछ रहता है तो उन्हें दूबारा जीने की तमन्ना।-
अक्सर देखा है यादों को
चुपके से
किसी चीज या बात के बहाने
मुझ में दाखिल हो कर
मुझको मुझसे ही दूर करते हुए !-
☹️
कुछ लम्हे मिलते हैं,
दिन में "सुशील",
वादा यह था हमारा
इश्क़ दिनरात चले !-