खो जाती हैं मुझसे
मेरी ही परछाइयाँ
उनसे मुलाक़ात को
दिल तरस जाता है ।-
कभी ख़यालात तो कभी ज़ज़्बात लिखता हूँ,
जो दिल तक आती है... read more
कब तलक नादान रहेगा
अब वक्त निकल रहा है
कब तक अनजान रहेगा
थोड़ा खिलखिला भी ले
कब तक यूँ बेजान रहेगा
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सुना है जंगलों में भी इंसान रहते हैं
सुना है जंगलों में ही इंसान रहते हैं
वो जो रहते हैं शहरों के मकानों में
उनमे से कुछ घरों में इंसान रहते हैं
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कड़वी चीज़ें हमेशा सेहत के लिए अच्छी होती हैं
फिर वो चाहे कड़वी बातें ही क्यों ना हो !-
मेरे अंदर का मैं
आईने में नज़र नहीं आता
आईने का मैं
जब झाँकेगा मेरे अंदर
तब शायद नज़र आयेगा
मेरे अंदर का मैं-
कोई रावण जलता है
कोई राम जलाता है
मगर खत्म नहीं होता
ना रावण रह जाता है
ना ही राम बन पाता है
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कैसे लाखों खर्च करके, ख़ुद को ग़रीब दिखाया जाता है
कैसे ख़ुद का महिमा मंडन करके, सच्चे स्वंत्रता के वीरो को दबाया जाता है
कैसे एक नेहरू की महत्वाकांक्षा के लिए, देश का बँटवारा किया जाता है
कैसे अंग्रेजों के साथ मिलकर, सेनानियों को फाँसी दी जाती है
कैसे २०% आबादी के लिए, ८०% आबादी को नज़रंदाज़ किया जाता है
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मेरे पास कोई विकल्प नहीं था, तेरे सिवा
और होता भी अगर, बेशक मैं तुम्हें चुनता-