अब तो जिन्दगी से परेशान हूं , देख खुद का तमाशा हैरान हूं , जो दब गई खुद में कहीं , कुछ ऐसी आवाज हूं , शिकवा नहीं किसी से अब , महज खुद से ही नाराज हूं , जिसे भुला दिया जाये आसानी से , मैं गुजरा हुआ-सा वो लम्हात हूं , चलती रहती है जो हरदम , उन अश्कों की बरसात हूं।।