शहीद भगत सिंह
कृपया अनुशीर्षक पढ़ें-
मजबूरी का नाम महात्मा गांधी! 😌
और
बहादुरी का नाम भगत सिंह!! 🙏— % &-
लुटाते थे तीनो भारत पर तन - मन और
अपनी जान।
इसलिए हँसते-हँसते दे गए ,
भारत माता के लिए अपने प्राणों का बलिदान।-
भगत, सुखदेव, राजगुरु को, चौबीस को फाँसी आई थी,
फ़िर डर के मारे अंग्रेज़ों ने, फाँसी की डेट घटाई थी।
जलियांवाला बाग की घटना, उनके हृदय को नोंच रखी थी,
आज़ादी बनेगी मेरी दुल्हन, ये भगत सिंह ने सोच रखी थी।
मार के जॉन सांडर्स को, फ़िरंगी ख़ेमा हिला डाला,
मात्र इंक़लाब के नारों से, हाहाकार मचा डाला।
116 दिन भूख हड़ताल से, फिरंगियों की मंशा तार हुई,
गोरों ने टेके थे घुटने और उसी दिन गोरों की हार हुई।
भगत सिंह सा लाल हो, ये स्वप्न बने कई पितरों के,
स्वतंत्र कर गए देश को, चूम के फाँसी संग मित्रों के।
पढ़ भी न पाये अंतिम पन्ना और बोले चलो गमन करते हैं,
तीनों स्वतंत्रता सेनानियों को, हम शत शत नमन करते हैं।-
फंसते सब हैं,
कुछ मुसीबतों में, कुछ नशे की जेलों में,
वो तो देश के लिए फंदों में झूल गए,
और हम अपने नशे में उनको भूल गए ।
खैर.......-
वो नाम से ही राज करते
सबके ही गुरु थे
देश की आज़ादी के लिए
हर काम करते शुरू थे
ऐसी महान आत्मा
बस शहीद राजगुरु थे।-
भारत मां के ये सपूत किए निछावर प्राण
जिससे हम जी सकें रहे सुरक्षित मान
आओ हम सब शपथ लें आंख में भर कर पानी
अब कोई गद्दार देश से कर ना सके बेईमानी-
आज़ादी की ख़ातिर ना सिर्फ़ गाँधी होने चाहिए।
राज, देव, भगत सी भी आँधी होनी चाहिए।।
पिघला दे पाहन-हृदय, ऐसा धीर चाहिए।
काटने को पत्थर का सिर, वीर भी पर चाहिए।।
अनुनय सुने ना जो तो, उसे फ़िर थापड़ जी।
ख़ातिर जय-जय, दुष्ट की तो यति चाहिए।।
पैदा हों बरस भर, बापू के सपूत यहाँ।
इंकलाबी पर छोटी सी, आबादी चाहिए।।
उतना ना झुक की पीठ पायदान समझे वो।
घमंड नहीं रे पर, अभिमानी होनी चाहिए।।
काम ना आये जब-जब खादी, सफेदी।
एक बसंती बुनियादी होनी चाहिए।।-
शहीदों की शहीदी से ही तो आबाद है भारत।
लहू के लाल बूंदों से ही तो शादाब है भारत।
नमन है उन सपूतों को जो झूले दार पर हँसकर।
उन्हीं सिंघों के कारण ही तो ज़िंदाबाद है भारत।।-